Saturday, 7 June 2025

व्यक्ति के सर्वांगीण विकास के लिए जरूरी है आरंभिक शिक्षा

हमारे देश में कई ऐसे बुद्धिजीवी लोग हैं जिन्हें हमारी शिक्षा और उससे संबंधित नौकरी हेतु चयन की प्रक्रिया से शिकायत है। इनमें से एक हमारे मित्र भी हैं जो लगभग सात वर्षों से हमारे देश के युवाओं को चिकित्सा क्षेत्र में ले जाने हेतु आवश्यक प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कराते हैं। मेडिकल जगत को ही ध्यान में रखते हुए उनकी जो शिकायत है उसे यहाँ रखा जा रहा है,

‘हमारे देश में बच्चों को एक डॉक्टर बनने के लिए क्या-क्या करना होता है? उन्हें कक्षा नर्सरी से लेकर कक्षा 8 वीं तक कई प्रकार के विषय पढ़ने पड़ते हैं। भले ही इस दौरान आप कक्षा में टॉप पर क्यों ना रहे हों! ढेर सारे मैडल क्यों ना जीते हों? वे सभी के सभी धरे रह जाते हैं जब आप बारहवीं में आते हैं। बारहवीं पास कर लेने के बाद आपको एक इम्तिहान देना होता है ताकि आपका MBBS के लिए चयन हो जाए। इसकी तैयारी के लिए आप वही सब रटेंगे जो आपने बारहवीं में रटा था। इसके पश्चात यदि इस कोर्स में आपका चयन हो जाता है, तब अब तक आपने (नर्सरी से कक्षा 8 वीं तक) जो भी रटा था, इतनी मेहनत की, इतना दिन रात जगे, सब कुछ किया, वो सब अब किसी काम का नहीं होगा। अब आपको कुछ सालों तक डॉक्टर की पढाई करनी होगी, फिर उस पढाई के बाद आपकी ट्रेनिंग होगी। तब जा कर आप डॉक्टर बनेंगे। अब सवाल ये आता है कि जब डॉक्टर की पढाई करवाकर और फिर ट्रेनिंग देकर आपको डॉक्टर बनता है ये सिस्टम तो फिर वो आपको सीधे इसके लिए क्यूँ नहीं चयनित कर लेता है वो आपको कक्षा एक से लेकर 12वीं तक क्यूँ इतनी मेहनत करवाता है? तो इसका जवाब ये मिलता है कि इतने सारे लोग हैं, लाखों बच्चे हैं, सबको डॉक्टर बनना है, और सबको ऐसे ले लिया तो फिर इतने डॉक्टर किस काम के होंगे? इसलिए बनाना कम है, कम्पटीशन इसीलिए रखा जाता है.. सरकार इसीलिए सीट का कोटा बनती है.. ये नहीं कि आपके पास प्राइवेट कॉलेज है और आप दस लाख डॉक्टर अपने यहाँ से एक साल में निकाल दें.. फिर डॉक्टर की कोई वैल्यू नहीं रह जायेग। समझ रहे हैं आप इस खेल को? इसलिए आपसे कक्षा 12 तक कत्थक डांस करवाया जाता है। बाद में डाक्टरी की ट्रेनिंग होती है। उस कत्थक डांस का आपके भविष्य से कोई लेना देना नहीं होता है। वो ज्ञान किसी काम का नहीं होता है। मेरे अपने जीवन में वो कुछ भी कभी काम नहीं आया जो मैंने 12वीं तक पढ़ा।  और आप इस ज्ञान को इतना सीरियसली ले कर बैठे रहते हैं और अपने दो बच्चों को पढ़ाने में अपना सारा जीवन “नष्ट” कर देते हैं। वो ज्ञान जो किसी काम का नहीं उसमें आप “बीस” साल तक स्वयं पागल बने रहते हैं और अपने बच्चों को मानसिक उत्पीडन की हद तक पागल किये रहते हैं.. इस पर आपको सोचना चाहिए।

इनकी बातों का विश्लेषण किया जाए तो इनका यह मानना है कि बच्चों को पहली से आठवीं या बारहवीं तक पढ़ाई के नाम पर अलग अलग विषय पढ़ा कर इनका समय बर्बाद किया जाता है। जबकि ये होना चाहिए कि जिस बच्चे को मेडिकल जगत की और जाना है, उसे शुरुआत से ही मेडिकल से संबंधित पढ़ाई दिया जाना चाहिए। एक तरीके से वे प्रत्येक बच्चों को उस तरह की शिक्षा दिए जाने की बात करते हैं जैसे किसी के खेल में रुचि रखने वाले बच्चों को बचपन से ही उस खेल की ट्रेनिंग में शामिल कर दिया जाता है।

यहाँ इस बात पर गौर किया जाना चाहिए कि एक खेल के लिए बच्चों को ट्रेंड करना और चिकित्सा जगत में सेवा के लिए किसी बच्चे को प्रशिक्षित करना, दोनों अलग-अलग मायने रखते हैं। किसी भी खेल की अपनी अलग अलग स्तर की बारीकियां हैं। उन बारीक कौशलों (skills) को आत्मसात करने के बाद ही कोई उस क्षेत्र में सफल हो पाता है। ऐसे ही चिकित्सा जगत जैसे क्षेत्र में सफल रूप से सेवा देने के लिए जो आवश्यक कौशल होना चाहिए उसका विकास नर्सरी से आठवीं या बारहवीं कक्षा तक प्रमुखता से किया जाता है।

यदि हम केवल आंगनबाड़ी का ही उदाहरण लें तो तीन से 6 साल की अवस्था के दौरान ही बच्चों के शारीरिक विकास के साथ-साथ बौद्धिक विकास, भाषाई विकास, सामाजिक एवं भावनात्मक विकासरचनात्मक विकास से संबंधित कौशल पर गहराई से कार्य किया जाता है। इन पांच क्षेत्रों से संबंधित कौशल का विकास बच्चो में आठवीं से लेकर बारहवीं तक होता ही रहता है, जीवन पर्यंत भी होता है। पहली से 12 तक की शिक्षा बच्चों में अलग अलग प्रकार के भाषाई कौशल (समझ के साथ सुनना, बोलना, पढ़ना, लिखना, सोचना, विचार करना, मौखिक व लिखित रूप से अपने विचार अभिव्यक्त करना) गणितीय कौशल (तर्क करना/लगाना, दैनिक जीवन से संबंधित जोड़ने, घटाने, गुणा, भाग करने संबंधी गणितीय समस्याओं का समाधान करना) का विकास करने के लिए अति आवश्यक है। इसी तरह विज्ञान व सामाजिक विज्ञान से संबंधित कौशल जैसे किसी घटना का कार्य कारण संबंध जानना, किसी घटना का विश्लेषण करना, सर्वे करना, अवलोकन करना आदि कौशल/दक्षताऐं यदि आपमें नहीं होगा तो मेडिकल प्रवेश परीक्षा तक निकालने आपके लिए नाको चने चबाने जैसा है। एमबीबीएस करने के बारे में सोचना तो छोड़ ही दीजिए। उपरोक्त कौशल के बिना मेडिकल से लेकर इंजीनियर बनने की पढ़ाई केवल उच्चारण कर पढ़ने भर मात्र होंगे। इसलिए पहली से 12वीं तक की पढ़ाई आपके डॉक्टर के रूप में तैयार होने के लिए नींव तैयार करती है। इसमें value & disposition कौशल भी शामिल है। बिना इसके आपमे humanity आ ही नहीं सकती।

इसलिए अपने बच्चों को डॉ, इंजीनियर बनाने के सपने बाद में देखिए पहिले ये देखिए कि पहली से लेकर 12वीं कक्षा तक के अपेक्षित कौशल आपके बच्चे में हैं या नहीं। यदि नहीं है तो उसपर काम करने की आवश्यकता है।

कोई भाषा न श्रेष्ठ होती है न हीन

सोशल मीडिया फेसबुक पर ‘सरकारी स्कूल’ नामक पेज द्वारा साझा किए गए एक पोस्ट पढ़ने को मिला जो राजस्थान के एक जन सुनवाई से संबंधित था। राज्य के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर उस जन सुनवाई में थे। वहाँ एक छात्रा मंत्रीजी से अंग्रेजी भाषा में एक प्रश्न पूछती है जिसे सुनकर मंत्रीजी अपने कान पकड़ लेते हैं और छात्रा से कहते हैं कि ‘आप हिंदी में प्रश्न पूछें’। इसपर छात्रा बोलती हैं कि ‘आप तो शिक्षा मंत्री हो ...’।

            पोस्ट पर कई लोग अपने-अपने विचार रख रहे थे। अपनी-अपनी समझ के अनुसार अधिकांश मंत्री जी को बुरा-भला कह रहे थे। मैं भी खुद को रोक नहीं पाया। मैंने जो विचार रखे वह मंत्रीजी के पक्ष में जाते दिखे। दरअसल कोई भी व्यक्ति यदि शिक्षा मंत्री है तो यह बिल्कुल भी आवश्यक नहीं है कि उसके पास अंग्रेजी भाषा में अपनी बात अभिव्यक्त करने का या समझने का कौशल (skill) हो ही। वास्तव में वह एक जन प्रतिनिधि है वह भी ऐसे क्षेत्र का जहां के अधिकांश लोग आम बोलचाल में हिंदी या स्थानीय भाषा का इस्तेमाल करते हैं। वह किसी स्कूल के अंग्रेजी विषय का कोई शिक्षक नहीं है जो कोई उससे अंग्रेजी भाषा में ही प्रत्युत्तर मिलने की अपेक्षा रखे।   

प्रश्न पूछने वाली छात्रा की बात की जाए तो ये अच्छी बात है कि निजी स्कूल में पढ़ते हुए उसे अंग्रेजी भाषा सीखने का अवसर मिला जिससे वह अंग्रेजी भाषा में बातचीत करना सीख पाई। उसे लगातार अंग्रेजी बोलने और समझने वाले सहपाठियों का लगातार साथ मिला फलस्वरूप उसके मन में उसी भाषा (अंग्रेजी) में विचार बनने लगे, जिससे अंग्रेजी बोलना प्रश्न पूछने वाले के लिए आसान हो गया। इसके विपरीत मंत्रीजी की परवरिश हिंदी बोलने वालों के बीच हुई इसलिए वह हिंदी में बातचीत करने में ज्यादा सहज हैं।

शिक्षा मंत्री व छात्रा दोनों ही भाषाई कौशल से लैस हैं। सुनकर, समझकर अपने विचार अभिव्यक्त करने की भाषाई कौशल (language skill) या दक्षता छात्रा के साथ-साथ उस मंत्री जी में कूट-कूट कर भरा है। इसलिए वह बोल भी रहे कि प्रश्न हिंदी में पूछो। और हिंदी में प्रश्न पूछने पर हिंदी भाषा में संतोषप्रद उत्तर दिया भी उन्होंने।

अपने विचार यदि कोई धड़ाधड़ अंग्रेजी भाषा में व्यक्त कर रहा है तो इसका यह अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए कि धड़ाधड़ हिंदी बोलने वाला उससे कम है। जैसा कि इस संवाद/रिपोर्ट को लिखने वाले पत्रकार (journalist) ने किया। सब भाषा की एक समान श्रेष्ठता है न कोई किसी से कम है न कोई ज्यादा। 



Friday, 2 May 2025

शिक्षक सेमिनार में कहानी उत्सव कराने वाले शिक्षकों को किया गया सम्मानित

 विकासखण्ड स्त्रोत केंद्र, बेमेतरा एवं अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन के संयुक्त योगदान से दिनांक 01 मई 2025 को विकासखण्ड स्त्रोत केंद्र, बेमेतरा के प्रशिक्षण भवन में शिक्षक सेमिनार एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस एक दिवसीय आयोजन में ‘विकासखण्ड स्तरीय कहानी उत्सव’ आयोजित करने वाले 176 शिक्षकों में से उन 62 शिक्षकों को सम्मानित किया गया जिन्होंने विकासखण्ड स्त्रोत समन्वयक, बेमेतरा के आग्रह पर अपनी-अपनी शाला/कक्षा के बच्चों को 6 से लेकर 24 सप्ताह तक निरंतर कहानी सुनाते हुए बच्चों में बुनियादी साक्षरता कौशल विकसित कराने हेतु कार्य किया।

          ज्ञात हो कि बेमेतरा विकासखण्ड स्त्रोत समन्वयक श्री राजेन्द्र कुमार साहू ने प्रत्येक बच्चों में FLN (Foundational Literacy & Numeracy) सुनिश्चित कराने की दिशा में कार्य करते हुए सितंबर 2024 में विकासखण्ड स्तरीय कहानी उत्सव (हर सप्ताह एक कहानी) की शुरुआत की थी। इसके अंतर्गत मुस्कान पुस्तकालय से हर सप्ताह एक कहानी एवं उससे संबंधित गतिविधियां (जिसमें भाषा सिखाने के 4 ब्लॉक मॉडल मौखिक भाषा विकास, डिकोडिंग, पठन, लेखन संबंधी गतिविधियों का समावेश होता था) एक बुकलेट संकुल समन्वयकों के माध्यम से साझा की जाती थी। शिक्षक अपनी कक्षा में बच्चों के साथ उन गतिविधियों को कराते थे व इससे संबंधित फोटो/विडिओ व्हाट्सएप समूह में साझा करते थे। सितंबर से मार्च माह तक कुल 26 कहानियाँ उन्होंने साझा किए।  

सम्मानित किए गए शिक्षकों में से 7 ने अपने-अपने कार्यानुभव, अलग-अलग थीम पर केंद्रित होकर कार्य करने के अनुभव, कहानी उत्सव में लंबे समय तक सहभागिता से बच्चों के स्तर में आए बदलाव, उनकी शिक्षकीय प्रक्रिया में आए बदलाव को सभी उपस्थित 50 से अधिक शिक्षकों, शिक्षा अधिकारियों के समक्ष Power point Presentation के माध्यम से साझा किया। 

निम्न शिक्षकों ने अपना प्रस्तुतीकरण दिया-

क्रम

शिक्षक का नाम

शाला का नाम

विषयवस्तु

01

भगवती प्रसाद मार्कन्डेय

प्रा. शाला तरके

(चरगवा संकुल)

FLN प्राप्ति हेतु बाल साहित्य (मुस्कान पुस्तकालय) का प्रयोग: 6 माह के अनुभव का सार

02

बबली वैष्णव

प्रा. शाला, मुड़पार (बिलाई संकुल)

कहानी के माध्यम से वर्ण-मात्राओं का ज्ञान: 6 माह के अनुभव का सार

03

रश्मि तिवारी

प्रा. शाला, पड़कीडीह  (झाल संकुल)

सक्रिय पुस्तकालय हेतु कहानी की भूमिका: 6 माह के अनुभव का सार

04

चंद्रहास सोनी

प्रा. शाला, बहुनवागाँव  (पिकरी संकुल)

पुस्तकालय के उपयोग से बच्चों में पढ़ने की आदत का निर्माण: 6 माह के अनुभव का सार

05

किरण खरे

प्रा. शाला, सिंघोरी (सिंघोरी संकुल)

कहानी सुनाना एक कला: 6 माह के अनुभव का सार

06

मनीषा कौशल

प्रा. शाला, नवागाँव (हेमाबंद संकुल)

कहानी के माध्यम से भाषा के 4 ब्लॉक मॉडल पर काम: 6 माह के अनुभव का सार

07

ज्योति किरण साहू

प्रा. शाला, मटका (मटका संकुल)

Story telling with code mix

 

इन सभी शिक्षकों ने साझा की गई कहानियों पर कार्य करते हुए अलग अलग थीम पर केंद्रित रहते हुए अपना प्रस्तुतीकरण दिया। इन शिक्षकों के कार्यों की सराहना करने एवं फीडबैक देने के लिए सेमिनार में तीन पैनालिस्ट (विषय विशेषज्ञ) भी शामिल हुए। ये पैनलिस्ट थे – सुश्री प्रतिभा साहू (शासकीय प्राथमिक शाला, बेरला) सुश्री सावित्री साहु (शासकीय प्राथमिक शाला, जामगाँव, बेरला) श्रीमती मोनिका (सदस्य, अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन, बेरला)। इन सभी ने सभी 7 शिक्षकों की प्रस्तुतीकरण के बाद उनके कार्यों की समीक्षा करते हुए और क्या-क्या बेहतर कर सकते हैं? इसपर बात रखे।  

प्रस्तुतिकरण के बाद सभी प्रतिभागी शिक्षकों को बेमेतरा जिला शिक्षा अधिकारी डॉ. कमल कपूर बंजारे, बेमेतरा जिला मिशन समन्वयक (समग्र शिक्षा) श्री नरेन्द्र वर्मा, सहायक जिला मिशन समन्वयक भूपेन्द्र साहू एवं धनंजय शर्मा, बेमेतरा विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी श्री अरुण खरे, बेमेतरा बीईओ जी एन सिंह बेमेतरा विकासखण्ड स्त्रोत समन्वयक, श्री राजेन्द्र कुमार साहू व अन्य उपस्थित शिक्षा विभाग के अधिकारियों के द्वारा प्रमाण पत्र वितरित किया गया। संकुल अकादमिक समन्वयक डोमेन्द्र पाण्डेय, चुरावन वर्मा, चैतराम सेन, आदि की भी गरिमामय उपस्थिति रही।

सेमिनार से पूर्व प्रतिभागी शिक्षकों को प्रस्तुतीकरण के लिए तैयार करने से लेकर सेमिनार आयोजन में अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन, बेमेतरा के सदस्यों (राघवेंद्र, जयप्रकाश, श्रेया, स्वरूपा, वासु, पवन, साकेत, मनीष एवं कुमुद) की सक्रिय भूमिका रही।



Friday, 25 April 2025

5 दिवसीय समर कैंप में बच्चों ने सीखा ठोस वस्तुओं का उपयोग करते हुए जोड़, गुणा, भाग।

अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन, बेमेतरा के सहयोग से शासकीय प्राथमिक शाला, मुरकी (बालक दाढ़ी संकुल, बेमेतरा) में दिनांक 21-25 अप्रैल के बीच समर कैंप आयोजित किया गया। वार्षिक परीक्षा के बाद भी बच्चों का सीखना लगा रहे, बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान प्राप्त करने हेतु बच्चों में अपेक्षित दक्षता विकसित किया जा सके, के उद्देश्य से इस ‘समर कैंप’ का आयोजन किया गया। प्रतिदिन दो घंटे की हिंदी, गणित एवं पर्यावरण अध्ययन विषय के साथ-साथ बाल विकास के अलग-अलग क्षेत्रों के संबंधी रोचक गतिविधियों के माध्यम से बच्चों में अपेक्षित दक्षता लाने का प्रयास किया गया। दो दिन हिंदी, दो दिन गणित एवं एक दिन पर्यावरण अध्ययन विषय केंद्रित इस ‘समर कैंप’ में प्रतिदिन औसतन 18 बच्चों ने भाग लिया।

दिवसवार आयोजित की गई गतिविधियां –

दिन

गतिविधि का नाम, उद्देश्य एवं विवरण

 

 

पहला दिन

(हिंदी विषय केंद्रित)

सर्किल टाइम

·       खेल

1.      नंबर गेम (बच्चों में एकाग्रता विकसित करना)

2.      खेल - आलू खाओ पंखा खाओ (किसी भी बात को ध्यान से सुनकर प्रत्युत्तर देने के कौशल विकसित करना)

·       बालगीत

1.      ये लो हाथी ... (बच्चों को अलग-अलग प्रकार के चेहरे के भाव, उस अनुरूप आवाज के उतार चढ़ाव संबंधी समझ बनाने के उद्देश्य से)

हिंदी भाषा केंद्रित गतिविधि

·       आओ कहानी बनाएं – (बच्चों में कल्पना करने का कौशल व अपने विचारों को मौखिक/लिखित रूप से अभिव्यक्त करने का कौशल विकसित करना)

क्राफ्ट गतिविधि

·       कागज की टोपी बनाना ((बच्चों में रचनात्मक कौशल विकसित करना)

 

 

दूसरा दिन

(हिंदी विषय केंद्रित)

सर्किल टाइम

·       बाल गीत – (किसी भी कविता को हाव-भाव के साथ करने संबंधी समझ बनाने के लिए)

1.      हमने तीन चीजें देखी

2.      चूहों... म्याऊँ सो रही है

हिंदी भाषा केंद्रित गतिविधि

·       रचनात्मक लेखन एवं चित्रकारी – (किसी चित्र को देखकर, उसमें चित्रित पात्रों को देखते हुए उनसे संबंधित किसी कहानी की कल्पना कर पाने का कौशल विकसित करना)

क्राफ्ट गतिविधि

·       ऑरिगेमि पेपर से फाफा बनाना (बच्चों में रचनात्मक कौशल विकसित करना)

 

 

 

तीसरा दिन (हिंदी एवं गणित विषय केंद्रित गतिविधियां)

सर्किल टाइम –

·       बाल गीत

1.      लंबी दाढ़ी वाले बाबा

हिंदी विषय संबंधित गतिविधि

·       कहानी को हाव-भाव एवं आवाज के उतार-चढ़ाव के साथ सुनाना तत्पश्चात बच्चों को सुनाने के लिए प्रेरित करना)

गणित विषय संबंधी गतिविधि

·       गणित का जादू (जोड़ने की अवधारणा पर समझ बनाना)

·       नंबर जम्प (गिनमाला TLM का उपयोग करते हुए गुणा पर समझ बनाना)

एक रोचक खेल ‘नंबर जंप’ खेलते हुए ‘गिनमाला’ TLM का उपयोग करते हुए गुणा की अवधारणा (किसी संख्या को बार-बार जोड़ना) (मानक कलन विधि के पूर्व का step) पर सभी बच्चों को इस प्रक्रिया में शामिल करते हुए समझ बनाया गया)

 

 

 

चौथा दिन (गणित विषय केंद्रित)

सर्किल टाइम –

·       खेल – Lion, Wall & Gun (fun game)

·       गणित के खेल

1.      नंबर गेम (संख्या समझ के साथ-साथ गुणा की अवधारणा पर समझ बनाना)

·       बाल गीत

1.      ये लो हाथी ... (बच्चों को अलग-अलग प्रकार के चेहरे के भाव, उस अनुरूप आवाज के उतार चढ़ाव संबंधी समझ बनाने के उद्देश्य से)

गणित विषय संबंधी गतिविधि

·       नंबर जम्प (गिनमाला एवं स्ट्रॉ TLM का उपयोग करते हुए भाग पर समझ बनाना)

एक रोचक खेल ‘नंबर जंप’ खेलते हुए ‘StrawTLM का उपयोग करते हुए ‘भाग’ (division) की अवधारणा (किसी संख्या को बार-बार घटाना या किसी वस्तु को बराबर बांटना, किसी वस्तु को इकाई या सैकड़ा की ओर से बांटना) (मानक कलन विधि के पूर्व का step) पर सभी बच्चों को इस प्रक्रिया में शामिल करते हुए समझ बनाना)

 

 

 

 

 

पाँचवाँ दिन (पर्यावरण  विषय केंद्रित)

 

 

 

सर्किल टाइम  

·       बाल गीत – (कविता को हाव-भाव के साथ गाना व उसके अर्थ समझना)

1.      एक बुढ़िया ने बोया दाना –

·       पर्यावरण अध्ययन विषय संबंधित गतिविधि –

जिला, राज्य एवं देश के राजनीतिक मानचित्र को देखते हुए दिशा एवं स्थान की समझ बनाना

·       बच्चों का कोना निर्माण –

दूसरे दिन कराए गए सभी बच्चों के रचनात्मक लेखन को कक्षा में एक रस्सी की सहायता से लटकाते हुए ‘बच्चों का कोना’ बनाया गया। 

 

इस 5 दिवसीय कार्यशाला के दौरान शाला के प्रधान पाठक ललित घृतलहरे, शकुंतला सोनवानी, रंजूलता राठिया की उपस्थिति रही। अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन, बेमेतरा से साकेत बिहारी ने इस 5 दिवसीय समर कैंप की गतिविधियों को संचालित किया।   



Sunday, 20 April 2025

शासकीय प्राथमिक शाला, लालपुर में 6 दिवसीय समर कैंप का आयोजन सम्पन्न

अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन, बेमेतरा के सहयोग से शासकीय प्राथमिक शाला, लालपुर (पचभैया संकुल, बेमेतरा) में दिनांक 09-19 अप्रैल के बीच 6 दिवसीय समर कैंप आयोजित किया गया। वार्षिक परीक्षा के बाद भी बच्चों का सीखना लगा रहे, बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान प्राप्त करने हेतु बच्चों में अपेक्षित दक्षता विकसित किया जा सके, के उद्देश्य से इस ‘समर कैंप’ का आयोजन किया गया। प्रतिदिन दो घंटे की हिंदी, अंग्रेजी, गणित एवं पर्यावरण अध्ययन विषय के साथ-साथ बाल विकास के अलग-अलग क्षेत्रों के संबंधी रोचक गतिविधियों के माध्यम से बच्चों में अपेक्षित दक्षता लाने का प्रयास किया गया। दो दिन हिंदी, एक दिन अंग्रेजी, दो दिन गणित एवं एक दिन पर्यावरण अध्ययन विषय केंद्रित इस ‘समर कैंप’ में प्रतिदिन औसतन 12 बच्चों ने भाग लिया। उच्च प्राथमिक शाला, लालपुर के कक्षा छठवीं के कुछ बच्चे भी शामिल रहे। 

दिवसवार आयोजित की गई गतिविधियां –

दिन

गतिविधि का नाम, उद्देश्य एवं विवरण

 

 

पहला दिन

(हिंदी विषय केंद्रित)

सर्किल टाइम

·       अपना परिचय देना –

·       नंबर गेम (संख्या समझ के साथ-साथ बच्चों में एकाग्रता विकसित करना)

·       खेल - आलू खाओ पंखा खाओ (किसी भी बात को ध्यान से सुनकर प्रत्युत्तर देने के कौशल विकसित करना)

हिंदी भाषा केंद्रित गतिविधि

·       आओ कहानी बनाएं – (बच्चों में कल्पना करने का कौशल व अपने विचारों को मौखिक/लिखित रूप से अभिव्यक्त करने का कौशल विकसित करना)

क्राफ्ट गतिविधि

·       कागज की टोपी बनाना ((बच्चों में रचनात्मक कौशल विकसित करना)

दूसरा दिन

(हिंदी विषय केंद्रित)

सर्किल टाइम

बाल गीत –

·       हमने तीन चीजें देखी – (किसी भी कविता को हाव-भाव के साथ करने संबंधी समझ बनाने के लिए)

·       ये लो हाथी ... (बच्चों को अलग-अलग प्रकार के चेहरे के भाव, उस अनुरूप आवाज के उतार चढ़ाव संबंधी समझ बनाने के उद्देश्य से)

हिंदी भाषा केंद्रित गतिविधि

·       रचनात्मक लेखन एवं चित्रकारी – (किसी चित्र को देखकर, उसमें चित्रित पात्रों को देखते हुए उनसे संबंधित किसी कहानी की कल्पना कर पाने का कौशल विकसित करना)

क्राफ्ट गतिविधि

·       ऑरिगेमि पेपर से फाफा बनाना (बच्चों में रचनात्मक कौशल विकसित करना)

 

 

तीसरा दिन

(अंग्रेजी विषय केंद्रित)

·       सर्किल टाइम –

बच्चों का कोना निर्माण – (दूसरे दिन कराए गए सभी बच्चों के रचनात्मक लेखन को कक्षा में एक रस्सी की सहायता से लटकाते हुए ‘बच्चों का कोना’ बनाया गया। 

·       अंग्रेजी भाषा केंद्रित बाल गीत –

1.      Mummy open the door (अंग्रेजी भाषा की किसी कविता को हाव-भाव के साथ करने संबंधी समझ बनाना)

·       शाला को अंग्रेजी विषय संबंधित प्रिंट-रिच बनाने संबंधी गतिविधि – बच्चों के द्वारा शाला में स्थित संबंधित objects के अंग्रेजी नाम जानना एवं उसका लेबलिंग करना। (उद्देश्य - शाला में बच्चों को अंग्रेजी भाषा संबंधित माहौल दिलाना ताकि वे अंग्रेजी भाषा को भी वे हिंदी भाषा की तरह ही आसानी से सीख सकें)

 

 

 

 

चौथा दिन (अंग्रेजी एवं गणित विषय केंद्रित)

·       सर्किल टाइम –

बाल गीत – (कविता को हाव-भाव के साथ गाना व उसके अर्थ समझना)

1.      एक बुढ़िया ने बोया दाना –

2.      चूहों... म्याऊँ सो रही है

·       शाला को अंग्रेजी विषय संबंधित प्रिंट-रिच बनाने संबंधी गतिविधि –

बच्चों को शाला में मौजूद स्थायी objects के अंग्रेजी नाम से परिचित कराना। तत्पश्चात उनके अंग्रेजी नाम को चार्ट पेपर पर लिखते हुए उन्हें संबंधित वस्तु के एक निश्चित स्थान पर लगाना। (उद्देश्य - शाला में बच्चों को अंग्रेजी भाषा संबंधित माहौल मिले और अंग्रेजी भाषा को भी वे हिंदी भाषा की तरह ही सीख सकें)

·       गणित विषय संबंधित गतिविधि –

एक रोचक खेल ‘नंबर जंप’ खेलते हुए ‘गिनमाला’ TLM का उपयोग करते हुए गुणा की अवधारणा (किसी संख्या को बार-बार जोड़ना) (मानक कलन विधि के पूर्व का step) पर सभी बच्चों को इस प्रक्रिया में शामिल करते हुए समझ बनाना)

 

 

पाँचवाँ दिन (गणित विषय केंद्रित)

·       सर्किल टाइम –

बाल गीत – (कविता को हाव-भाव के साथ गाना व उसके अर्थ समझना)

1.      लंबी दाढ़ी वाले बाबा ...

खेल – lion, wall & Gun (fun game)

·       गणित विषय संबंधित गतिविधि –

एक रोचक खेल ‘नंबर जंप’ खेलते हुए ‘StrawTLM का उपयोग करते हुए ‘भाग’ (division) की अवधारणा (किसी संख्या को बार-बार घटाना या किसी वस्तु को बराबर बांटना, किसी वस्तु को इकाई या सैकड़ा की ओर से बांटना) (मानक कलन विधि के पूर्व का step) पर सभी बच्चों को इस प्रक्रिया में शामिल करते हुए समझ बनाना)

 

 

छठवाँ दिन (पर्यावरण अध्ययन केंद्रित)

·       सर्किल टाइम –

बाल गीत – (कविता को हाव-भाव के साथ गाना व उसके अर्थ समझना)

1.      लंबी दाढ़ी वाले बाबा ...

खेल – गणित का जादू (fun as well as addition related activity)

·       पर्यावरण अध्ययन विषय संबंधित गतिविधि –

जिला, राज्य एवं देश के राजनीतिक मानचित्र को देखते हुए दिशा एवं स्थान की समझ बनाना

 

इस 6 दिवसीय कार्यशाला के दौरान शाला के प्रधान पाठक हेमचंद साहू, जागेश्वर बनछोड़, भूपेन्द्र नेताम सहित संकुल समन्वयक (पचभैया संकुल) सुखचन्द चंद्राकर उपस्थित रहे। अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन, बेमेतरा से साकेत बिहारी ने इस 6 दिवसीय समर कैंप की गतिविधियों को संचालित किया।