गणित में किसी संपूर्ण
वस्तु या वस्तुओं के समूह के एक भाग या खंड को दिखाने/दर्शाने के लिए भिन्न का
प्रयोग किया जाता है। एक उदाहरण से भिन्न को हम इस प्रकार समझ सकते हैं - किसी रोटी
को यदि हम दो, तीन या चार हिस्सों में तोड़ते हैं तो इसके टूटे एक भाग को उस रोटी
का भिन्न या हिस्सा या खंड कहते हैं। इसके
दो हिस्से होते हैं, जिसे ‘अंश (Numerator)’ एवं ‘हर (Denominator)’ के नाम से जाना जाता है। ‘अंश’ जहाँ किसी वस्तु के छायांकित भाग को
दिखाता है, वहीं ‘हर’ उस वस्तु के कुल खंड या हिस्से को। किसी भी वस्तु को बराबर
बराबर भागों में बांटने के लिए भिन्न की अवधारणा का प्रयोग किया जाता है।
इस
अवधारणा का अनुप्रयोग हमारे दैनिक जीवन का एक अभिन्न हिस्सा है। यही कारण है कि कक्षा
दो से ही बच्चों को गणित विषय के अंतर्गत इस अवधारणा को समझने एवं आगे के कक्षाओं
में इसे जोड़ने, घटाने, गुणा, भाग की संक्रिया के साथ जोड़कर सिखाई जाती है। सामान्यतः गणित पढ़ाने वाले शिक्षक ELPS पद्धति
से बच्चों को इस अवधारणा से परिचित नहीं कराते हैं, जिस कारण
भिन्न की अवधारणा समझ पाने से अधिकांश बच्चे वंचित रह जाते हैं। यही कारण है कि भिन्न से
संबंधित जोड़ने, घटाने, गुणा, भाग करने की संक्रिया तो बच्चे कर लेते हैं लेकिन उस भिन्न
के वास्तविक मायने को समझ पाने से वंचित रह जाते हैं। गलती यहाँ बच्चों की भी नहीं
है, हम शिक्षक भी वास्तव में उसके मायने को नहीं समझ पाते हैं। 1/2, 1/4, 1/5 से
लेकर 1/10 तक तो समझ लेते हैं, लेकिन जब 2/10, 4/10 को चित्र के
माध्यम से समझने या किसी को समझाने की बारी आती है तो इससे कैसे प्रदर्शित करना है?
समझ नहीं पाते। जो बच्चे थोड़ा बहुत इससे संबंधित समझ रखते हैं वह जाने अनजाने कर
लेते हैं। लेकिन उन्होंने ऐसा ही क्यों किया जब पूछा जाता है तो वे भी बता नहीं
पाते हैं। ऐसा ही एक वाकया शासकीय प्राथमिक शाला, सोनपुरी (संकुल – सोनपुरी) के कक्षा 5वीं के बच्चों
के साथ Worksheet द्वारा भिन्न के सवाल पर कार्य करने के
दौरान हुआ। इस दौरान 1/2 भाग को दो बच्चों ने कुछ अलग तरीके से छायांकित किया।
शाला के कक्षा पांचवीं के बच्चे FLN स्तर प्राप्त हैं या नहीं, को जानने के लिए एक कार्य-पत्रक (worksheet) दिया गया, जिनमें FLN एवं कक्षा स्तर के सवाल थे। कुल 26 बच्चे इस अध्ययन में शामिल हुए। कार्यपत्रक में एक सवाल भिन्न से संबंधित भी था। सवाल था - नीचे दिए गए ग्रिड के 1/2 भाग को पीले रंग से, एवं 1/2 भाग को नीले रंग से दिखाना था। चित्र में हम देख सकते हैं कि शाला के दो बच्चों ने ½ भाग को दिखाने के लिए हमारे द्वारा छायांकित करने संबंधी बताये गए पारंपरिक तरीके से थोड़ा भिन्न (अलग) तरीके से छायांकित किया है।
दोनों ही बच्चों ने इस 16
ब्लॉक्स वाली ग्रीड के 8 ब्लॉक को पीले रंग से और बाकी के 8 ब्लॉक को नीले रंग से रंगा है। दोनों बच्चों द्वारा द्वारा दिए गए उत्तर
को यदि हम तार्किक तरीके से विष्लेषित करें तो हम पाते हैं कि इनके द्वारा दिए गए
उत्तर बिल्कुल सही हैं, क्योंकि यहाँ नीला रंग ½ भाग को और
पीला रंग बाकी के ½ भाग को represent कर
रहा है।
बच्चों
द्वारा दिए गए इस उत्तर को जब गणित विशेषज्ञों को दिखाया गया तो उन्होंने इस practice को एक बेहतर practice माना। क्योंकि कोई बच्चा यदि 1/2
भाग को इस तरीके से बता पा रहा है, तो इसका मतलब है कि शिक्षक बच्चों को 1/2 के
मायने को पारंपरिक तरीके के साथ साथ अलग तरीके से भी बता रहे हैं। बच्चों के इस
उत्तर के संबंध में जब शाला के गणित के शिक्षक से बात हुई तो उन्होंने बताया कि इस
तरीके से उन्होंने अपने बच्चों को कभी नहीं बताया। ये दोनों बच्चे किसी निजी
कोचिंग संस्थान से भी संबंधित नहीं थे। इससे निष्कर्ष निकाला गया कि बच्चों ने
जाने-अनजाने भिन्न को प्रदर्शित करने के एक अलग तरीके का पता लगाया।
भिन्न
को समझने/समझाने के लिए इस तरीके का भी इस्तेमाल हम सभी शिक्षक अपनी अपनी कक्षा
में कर सकते हैं।