School
of Women’s Studies, Jadavpur University, Kolkata एवं Sachetna
द्वारा Feminist Research Methodology विषय पर
आजोजित 10 दिवसीय कार्यशाला हेतु कोलकाता भ्रमण पर अपने साथी मित्र मनीष सिंह के साथ
चला । Selection Committee ने हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा से हम दोनों सहित पूरे भारत से 25 को चुना । 6 – 17 अप्रैल तक चलनेवाले
इस 10 दिनों के काफी व्यस्ततम कार्यशाला में दो दिन छुट्टी के रूप में मिले – एक रविवार
तथा दूसरा अम्बेडकर जयंती । इस छुट्टी के पल में हमें कोलकाता की खूबसूरती यहाँ के
विरासत को देखने समझने का मौका मिला । पहले रविवार को जबरदस्त सूर्यदेव के प्रकोप को
चिढ़ाते हुए भारत के पहले मेट्रो सेवा कोलकाता मेट्रो के सफर का आनंद लिया । इस दौरान
कोलकाता में कम खर्च में सफर करने का तिलिस्म का भी अध्ययन किया । निष्कर्ष निकाला
कि सभी औटोवाले को एक निश्चित दूरी के लिए ही permit दिया जाता
है । दूसरे route में वह नहीं जा सकता । हर route का अधिकतम किराया 10 रुपया निर्धारित है । मित्र मनीष के साथ जादवपुर विश्वविद्यालय
से ऑटो द्वारा टोलीगंज मेट्रो स्टेशन से पार्क स्ट्रीट जाकर काफी बारीकी से Indian
Museum का अध्ययन किया क्योंकि दोनों ही इतिहास पृष्ठभूमि से संबंधित
थे । तत्पश्चात फुटपाथ के लाइफ को देखते लस्सी, नींबू पानी, चिकेन बिरयानी का आनंद लेते हुए आधे घंटे के सफर में यहाँ से थोड़ी ही दूर
स्थित विक्टोरिया मेमोरियल हॉल पहुंचा । इसकी भव्यता व अंदर museum स्थित अनेक संधि-पत्र, ब्रिटिश गवर्नर जनरल की आदमकद
प्रतिमा देख मन पुलकित हो उठा । एक डेढ़ घंटे में घूमकर वापसी में कालीघाट भी देखने
पहुंचा जहां स्थानीय पंडितों की मनमानी देखकर काफी हैरत हुई । दोनों ने बाहर बाहर से
ही मंदिर के architecture को देख वापस अपने अस्थायी निवास अलुमिनी
असोशिएशन, जादवपुर विश्वविद्यालय के गेस्ट हाउस कमरा नंबर 204
लौट पड़ा । और भी बहुत कुछ देखना बाकी था लेकिन थकावट मिटाकर अगले दिन वर्कशॉप भी attain
करना था । कोलकाता को देखने का दूसरा मौका मिला 14 अप्रैल को अम्बेडकर
जयंती के दिन । जादवपुर विश्वविद्यालय स्थित बस स्टैंड से मित्र मनीष के साथ एसी 01
बस से हावड़ा ब्रिज पहुँचकर हुगली नदी के तट पर बैठकर हावड़ा ब्रिज व हुगली नदी के मनोरम
दृश्य का आनंद लिया । हुगली नदी स्थित स्टीमर के सफर का भरपूर आनंद लेते हुए दक्षिणेश्वर
काली मंदिर के लिए रवाना हुआ । हुगली नदी में हाथ मुंह धोकर माँ काली का दर्शन कर स्वामी
विवेकानंद द्वारा स्थापित बेलुर मठ पहुंचा । बेलुर मठ की भव्यता व हुगली के विहंगम
दृश्य काफी मनमोहक हैं । यहाँ आकर ऐसा प्रतीत हुआ कि यदि कोलकाता आकर बेलुर मठ नहीं
देखा तो आपका कोलकाता आना व्यर्थ है । हुगली के किनारे घंटों बैठकर हमने पुरवा हवा
का आनंद लिया । तत्पश्चात अपने सराय की ओर निकल पड़े । 13 दिनों का यह कोलकाता प्रवास
ताउम्र याद रहेगा विशेष रूप से भोजन crisis के लिए । workshop
के बाद हमें काफी भटकना पड़ता था रात्रि भोजन के लिए, तब कहीं जाकर डोसा, चाउमीन, एग
रोल, मोमो मिलता था । रोटी खाना तो जैसे सपना था ।
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Indian museum kolkata with manish singh |
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Victoria Memorial Kolkata with Manish Singh |
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at Victoria Memorial |
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Belur Math |