Sunday, 1 July 2018

बलात्कार विरोध की आड़ में सांप्रदायिक राजनीति का खेल


बलात्कार जैसे अपराध को कोई भी धर्म का पुरुष अंजाम दे सकता है, चाहे वह हिन्दू हो या मुसलमान । मंदसौर रेप कांड में 7 वर्षीय पीड़िता के प्रति सहानुभूति और आरोपी इरफान के प्रति गुस्सा मुझे भी है । घटना के बाद से ही आरोपी पुलिस की गिरफ्त में है, लड़की चुकी नाबालिग है इसलिए आरोपी को Pocso act के तहत फांसी तो होगी ही लेकिन सोसल मीडिया पर उसका नाम लेकर फांसी देने की मांग की आड़ में सांप्रदायिक वैमनस्यता फैलाने वाली घिनौनी राजनीति का खेल चल पड़ा है । फेसबुक पर यह खेल विभिन्न समूहों के माध्यम से काफी तेजी से चल रहा है । जानबूझकर इस घटना की तुलना कठुआ और उन्नाव रेप कांड से करते हुए उस समय पीड़िता के पक्ष में इंसाफ मांगने वालों को निशाना बनाया जा रहा है, सिर्फ इसलिए कि उन दोनों कांडों पर बोलनेवालों को हिंदू विरोधी और इस कांड पर चुप रहने वाले को मुसलमानों का हितैषी बताकर हिंदू मुसलमान के मुद्दे जागृत किया जा सके और आने वाले चुनाव में इसका लाभ उठाया जा सके ।
          पूरा देश जानता है कि कठुआ रेप कांड हो या उन्नाव रेप कांड दोनों को मीडिया कवरेज के साथ-साथ सेलिब्रिटी से लेकर आम जनता का जनाक्रोश सिर्फ इसलिए जागृत हुआ था कि दोनों कांड में रेप विक्टिम को इंसाफ देने की जगह आरोपी को बचाने की कोशिश की जा रही थी । न्याय दिलाने वाले वकील सहित उनके अपने आरोपियों के पक्ष में रैली निकाल रहे थे । जबकि मंदसौर कांड का आरोपी जो मुस्लिम धर्म का है, पुलिस गिरफ्त में है, लेकिन उसे बचाने के लिए न कोई मुस्लिम संगठन न अन्य कोई सामने आ रहा । बल्कि एक मुस्लिम संगठन ने तो आरोपी पर गुस्सा दिखाते हुए उसे कब्रिस्तान में भी जगह न देने की घोषणा की है । बहुत से मुस्लिम उसे फांसी देने की मांग करते प्रदर्शन करते देखे जा सकते हैं । अर्थात आरोपी को कोई बचा नहीं रहा । pocso act के तहत उस पर आवश्यक कार्यवाही की जाएगी ही । वह फांसी की सजा से बच नहीं सकता।
          बावजूद इसके इस मुद्दे को सांप्रदायिक रूप देकर हिन्दू-मुसलमान के बीच तनाव बढ़ाने की सोची समझी साजिश चल रही है । सरकार को इसे गंभीरता से लेना चाहिए ।