Sunday, 16 June 2019

क्या छठ पूजा गलत तिथि को मनाया जाता रहा है?


पौराणिक ग्रंथ अग्नि पुराण के 33वें अध्याय के अनुसार किसी मांग की द्वितीय तिथि लक्ष्मी की उपासना के लिए पवित्र दिन होता है। इसी प्रकार गौरी उपासना के लिए तृतीया, गणेश के लिए चतुर्थी, सरस्वती तथा नाग देवताओं के लिए पंचमी, स्वामी कार्तिकेय के लिए षष्ठी, सूर्य के लिए सप्तमी, मातृदेवियों के लिए अष्टमी, दुर्गा के लिए नवमी, नाग या यमराज के लिए दसमी, विष्णु के लिए एकादशी, श्रीहरि के लिए द्वादशी, कामदेव के लिए त्रयोदशी, शिव के लिए चतुर्दशी, ब्रह्मा की उपासना के लिए पूर्णिमा तथा अमावस्या पवित्र तिथि हैं।[i]

          इस आधार पर यदि बिहार तथा पूर्वी उत्तर प्रदेश में कार्तिक मास में षष्ठी व्रत या पूजा, जैसे सूर्य उपासना के 4 दिवसीय त्योहार के रूप में मनाया जाता है को देखें तो या तो ऐसा प्रतीत होता है कि षष्ठी तिथि को मनाए जाने वाला यह त्योहार इस तिथि को मनाना गलत है, क्योंकि नियमानुसार सूर्य उपासना की तिथि सप्तमी है, जबकि षष्ठी तिथि का संबंध कार्तिकेय की उपासना से है।
           यदि इस त्यौहार को सूर्य उपासना के रूप में मनाया जाता है तो इसे षष्ठी नहीं बल्कि सप्तमी तिथि को मनाया जाना चाहिए।


[i] अग्नि पुराण, अध्याय 33, श्लोक सं. 1-3