सोशल मीडिया फेसबुक पर ‘सरकारी
स्कूल’ नामक पेज द्वारा साझा किए गए एक पोस्ट पढ़ने को मिला जो राजस्थान के एक जन सुनवाई
से संबंधित था। राज्य के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर उस जन सुनवाई में थे। वहाँ एक छात्रा
मंत्रीजी से अंग्रेजी भाषा में एक प्रश्न पूछती है जिसे सुनकर मंत्रीजी अपने कान पकड़
लेते हैं और छात्रा से कहते हैं कि ‘आप हिंदी में प्रश्न पूछें’। इसपर छात्रा बोलती
हैं कि ‘आप तो शिक्षा मंत्री हो ...’।
पोस्ट पर कई लोग अपने-अपने विचार रख रहे
थे। अपनी-अपनी समझ के अनुसार अधिकांश मंत्री जी को बुरा-भला कह रहे थे। मैं भी खुद
को रोक नहीं पाया। मैंने जो विचार रखे वह मंत्रीजी के पक्ष में जाते दिखे। दरअसल कोई
भी व्यक्ति यदि शिक्षा मंत्री है तो यह बिल्कुल भी आवश्यक नहीं है कि उसके पास
अंग्रेजी भाषा में अपनी बात अभिव्यक्त करने का या समझने का कौशल (skill)
हो ही। वास्तव में वह एक जन प्रतिनिधि है वह भी ऐसे क्षेत्र का जहां
के अधिकांश लोग आम बोलचाल में हिंदी या स्थानीय भाषा का इस्तेमाल करते हैं। वह किसी
स्कूल के अंग्रेजी विषय का कोई शिक्षक नहीं है जो कोई उससे अंग्रेजी भाषा में ही प्रत्युत्तर
मिलने की अपेक्षा रखे।
प्रश्न
पूछने वाली छात्रा की बात की जाए तो ये अच्छी बात है कि निजी स्कूल में पढ़ते हुए उसे
अंग्रेजी भाषा सीखने का अवसर मिला जिससे वह अंग्रेजी भाषा में बातचीत करना सीख पाई।
उसे लगातार अंग्रेजी बोलने और समझने वाले सहपाठियों का लगातार साथ मिला फलस्वरूप
उसके मन में उसी भाषा (अंग्रेजी) में विचार बनने लगे, जिससे अंग्रेजी बोलना प्रश्न पूछने वाले के लिए आसान हो गया। इसके विपरीत मंत्रीजी
की परवरिश हिंदी बोलने वालों के बीच हुई इसलिए वह हिंदी में बातचीत करने में ज्यादा
सहज हैं।
शिक्षा
मंत्री व छात्रा दोनों ही भाषाई कौशल से लैस हैं। सुनकर, समझकर अपने विचार अभिव्यक्त करने की भाषाई कौशल (language skill) या दक्षता छात्रा के साथ-साथ उस मंत्री जी में कूट-कूट कर भरा है। इसलिए
वह बोल भी रहे कि प्रश्न हिंदी में पूछो। और हिंदी में प्रश्न पूछने पर हिंदी भाषा
में संतोषप्रद उत्तर दिया भी उन्होंने।
अपने विचार
यदि कोई धड़ाधड़ अंग्रेजी भाषा में व्यक्त कर रहा है तो इसका यह अर्थ नहीं निकाला जाना
चाहिए कि धड़ाधड़ हिंदी बोलने वाला उससे कम है। जैसा कि इस संवाद/रिपोर्ट को लिखने
वाले पत्रकार (journalist) ने किया। सब भाषा की एक समान
श्रेष्ठता है न कोई किसी से कम है न कोई ज्यादा।