Tuesday, 25 April 2017

सुकमा नक्सली हमला पर सरकार की घड़ियाली आँसू

और एक बार फिर अपने ही देश के एक militant group माओवादियों ने प्रतिशोध में 25 crpf जवानों की जान ले ली और सरकार घड़ीयाली आंसू बहाते हुए कड़ी निंदा के अलावे कुछ नहीं करेंगे... और वोट की लालची कोई सरकार कुछ कर ही नहीं सकती क्योंकि उनसे वोट लेने के अलावा नक्सलवादी समस्या परpolitics करने के लिए उन्हें जिन्दा रखना है... अब अभी घटना हूई नहीं कि जनता को दिखाने के लिए उस राज्य के नक्सल प्रभावित इलाकों में सीआरपीएफ़, एसटीएफ़ सैनिकों की पचासों कम्पनियां लगा देंगे ... जनता में विश्वास दिलाने के लिए 8-10 माओवादियों का encounter कर देंगे ... सरकार और सैनिकों की जयजयकार होगी ... मामला खत्म ... फिर 5-6 महीने बाद यही घटना कहीं और से ... पिछले 10 वर्षों से ऐसे ही घटना की पुनर्वृत्ती हो रही है जबकी घटना वाली राज्य में 10 वर्ष से अधिक समय से एक ही पार्टी की सरकार है । आखिर क्यों माओवाद खत्म करने के लिए कोई master plan नहीं बनाया जाता है । कब तक नक्सलवाद के खात्मे की जगह केवल सैनिकों के शहादत की ही खबरें आती रहेगी । आखिर कब तक चलती रहेगी ये खूनी होली ?
पाकिस्तान से लगातार बातचीत पर बातचीत होती रहती है । क्या ये माओवादी पाकिस्तानियों से भी गए-गुजरे हैं । आखिर इनकी समस्या पर बातचीत कर इनकी मांगों को सार्वजनिक क्यों नहीं की जाती ? 
#सुकमा हमले में शहीद जवानों को सहृदय श्रद्धांजलि !!!!!!!