Saturday, 22 April 2017

लोकतंत्र की विफलता के लिए जिम्मेदार सरकार

एक अशिक्षित व्यक्ति अपनी ज़िंदगी में उलझकर संविधान प्रदत्त अपने अधिकारों-कर्तव्यों को कभी भी गहराई से जान नहीं पता है । सरकार (केंद्र व राज्य) भी इसे अपने नागरिकों को बताने में कोई खास दिलचस्पी नहीं लेती है, केवल 5वीं-10वीं कक्षा के दौरान नागरिक शास्त्र विषय के अंतर्गत नाममात्र के लिए यह हमें तब बताया जाता है जब हम Mature भी नहीं होते हैं । वयस्क होने पर जब हमें इन अधिकारों-कर्तव्यों के जानकारी की अत्यधिक आवश्यकता होती है तब भी सरकार की तरफ से कोई कार्यक्रम या कार्यशाला आयोजित नहीं किया जाता है । कार्यशाला के स्थान पर नागरिकों को धार्मिक व जातिगत विमर्श में जबरन धकेल दिया जाता है ताकि इसी में उलझ कर वे अपनी ज़िंदगी काटती रहें और सरकार हमें धोखे में रखकर अपनी मनमानी करती रहे । 
यही कारण है कि सरकार को Social Science & Humanities संबंधित विषयों से उच्च शिक्षा (M.Phil/Ph.D) प्राप्त कर रहे शोधार्थियों से इन्हें समस्या होती है । समस्या से निपटने के लिए कभी इनकी fellowship तो कभी सीटें खत्म/कम कर दी जाती है कभी फीस वृद्धि भी हथियार के रूप में प्रयुक्त किया जाता है । बाकी Engineering/Medical शोधार्थियों से इन्हें कोई समस्या नहीं क्योंकि ये जानते हैं कि इन्हें Lab से फुर्सत ही नहीं तो समाज या अपने अधिकारों के बारे में क्या सोचेंगे । अपने निर्णय मनवाने के लिए साम-दाम-दंड-भेद सभी हथियार प्रयुक्त कर दिये जाते हैं । मान लिए तो ठीक नहीं तो लाठी और राजद्रोह कानून आपके लिए ही बनाए गए हैं ।