Wednesday, 21 June 2017

जिन्हें अछूत शब्द का अर्थ नहीं मालूम वह ब्रह्म पर ज्ञान देते हैं ।

संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आजादी हर भारतीय को बिना किसी धर्म, जाति, वर्ग के है । प्रत्येक लोग अपने अपने बुद्धि/विवेक क्षमतानुसार इसका प्रयोग करता ही है और करना ही चाहिए । इसी अधिकार का प्रयोग मैं सोसल मीडिया पर निष्पक्ष रूप से करने का प्रयास करता रहता हूँ । बहुत प्रसन्नता भी होती है दूसरों के विचार को जानकर, समझकर । मैं ऐसे ज्ञान प्राप्ति के लिए हमेशा लालायित रहता हूँ । इसी जिज्ञासावश फेसबुक पर एक मित्र के ज्ञान संबंधी पोस्ट पर बातचीत करने के लिए मजबूर हुआ । दिनेश दूबे नामक मित्र ने बहुत अच्छा पोस्ट लगाया । पोस्ट और बातचीत के आधार पर दो चीजें सामने आई कि कैसे कोई व्यक्ति खुद अपनी ही पोस्ट पर जाल में फंस जाता है तो अबोध होने का बहाना कर, कुछ भी कुतर्क कर आसानी से बच निकलने का मार्ग ढूंढ लेता है । दूसरा ये कि बिना अध्ययन किये पूरे confidence के साथ कैसे झूठ बोला जा सकता है । इस बंधु को अछूत जातिवाद शब्द कांग्रेसियों के देन लगती है लेकिन बावजूद इसके इन्हें अछूत शब्द नहीं पता । मैं तो जान ही रहा था कि मेरी बातों को काटने के लिए कोई तर्क नहीं इनके पास । बावजूद इसके बस कुटिल मुस्कान लिए कुतर्कों के मज़े लिए जा रहा था ।  

उपर्युक्त conversation के आधार पर तो यही कहा जा सकता है कि अछूत जातिवाद शब्द जानते हुए भी, अपने लेखन में प्रयुक्त करते हुए भी यदि कोई कहे कि उसे अछूत शब्द का अर्थ नहीं मालूम, बावजूद इसके ब्रह्म पर ज्ञान दे, तो उससे बड़ा धूर्त कोई नहीं ।