Thursday, 20 September 2018

आर्थिक आधार पर आरक्षण : केवल एक जुमला।

एक तरफ संघ प्रमुख मोहन भागवत से लेकर बीजेपी के बड़े-बड़े नेता सार्वजनिक मंचों से कहते नज़र आते हैं कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/ पिछड़ा आरक्षण खत्म नहीं किया जा सकता। तो दूसरी तरफ केंद्रीय मंत्री रामबिलास पासवान सहित हमारे सांसद महोदय चिराग पासवान गरीब सवर्णों को भी आरक्षण देने अर्थात आरक्षण को आर्थिक आधार पर लागू करने की पैरवी कर रहे हैं।
          संघ प्रमुख की बात को संविधान की समानता के अधिकार के आधार पर तो एकदम सत्य कहा जा सकता है। बाकी सांसद जी की बातें आनेवाले 2019 चुनाव के बाद बिल्कुल ऐसे ही जुमला साबित होंगी जैसे नरेंद्र मोदी जी की देश के प्रत्येक नागरिकों को 15 लाख मिलने वाली बात, अरविंद केजरीवाल की जनलोकपाल की बात, बाबा रामदेव के मोदी सरकार आने के बाद 35-40 रुपए प्रति लीटर पेट्रोल मिलने की बात, नीतीश कुमार की बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की बात। और अन्य नेताओं के वादे भी आप जोड़ सकते हैं।
          दरअसल आज जितने भी नेता, मंत्री लोग आरक्षण को आर्थिक आधार पर लागू कर गरीब सवर्णों को भी इसका लाभ देने की बात करते हैं उनके लोकसभा या विधानसभा क्षेत्र घूम लीजिये, वहाँ सवर्णों की भारी भरकम जनसंख्या देखकर आपको पता चल जाएगा कि सुरक्षित सीट के प्रत्याशियों को ऐसा लोभ क्यों देना पड़ता है???दरअसल उन सवर्ण वोटों को साधे रखने के लिए ये सवर्ण आरक्षण का शिगूफा छोड़ा गया है।
          उनको उल्लू बनाकर ये लोग केवल अपना उल्लू सीधा करना चाहते हैं।