जम्मू
कश्मीर और लद्दाख के केंद्रशासित प्रदेश बनने की खुशी में एक गोबर्बुद्धि चहक चहक
कर बोल रहा था
"अब तो कश्मीर में अपना भी ससुराल होगा।"
मैंने पूछा - "क्या बात कर रहे हो? यानि अब कश्मीरी युवक तुम्हारे बहनोई बन सकेंगे"???
ऐसे मुझे घूर कर देखा कि क्या बताऊँ ...
गाली देना तो चाहा लेकिन कुछ बोला नहीं पाया, क्योंकि उसकी अक्ल ठिकाने आ चुकी थी।
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दरअसल उमंग का ठिकाना नहीं होता जब हम किसी को जबरन अपना शत्रु मान उसकी बहु/बेटियों की इज्जत को इज्जत नहीं बल्कि हलवा समझ लेते हैं। लेकिन जब बात खुद के बहु, बेटी की आती है तो खून खौल उठता है। दूसरे की बहु, बेटियों को मौज की चीज समझनेवालों कभी खुद को उस बहु/बेटी के भाई, पिता की जगह रख कर देखिये औकात पता चल जाएगा।
दरअसल उमंग का ठिकाना नहीं होता जब हम किसी को जबरन अपना शत्रु मान उसकी बहु/बेटियों की इज्जत को इज्जत नहीं बल्कि हलवा समझ लेते हैं। लेकिन जब बात खुद के बहु, बेटी की आती है तो खून खौल उठता है। दूसरे की बहु, बेटियों को मौज की चीज समझनेवालों कभी खुद को उस बहु/बेटी के भाई, पिता की जगह रख कर देखिये औकात पता चल जाएगा।
जिस स्त्री की इज्जत को आप, हम और हमारा समाज
अपने इज्जत के साथ जोड़कर देखता है उसकी इज्जत कीजिये। कुछ भी बोलने से पहले थोड़ा
दिमाग लगाया कीजिये कि आप क्या बोल रहे हैं? जश्न में अपनी
खुशी का इजहार कीजिये किसी की इज्जत मत उछालिए।