काफी दिनों से अक्षय कुमार की movie "लक्ष्मी" का इंतज़ार था। लव जिहाद वाला angle सामने आने के बाद ऐसा लगा कि कहीं इसके रिलीज की ऐसी की तैसी न हो जाए, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। कल डिज्नी हॉटस्टार पर रिलीज होने के बाद आज इत्मिनान से इसे देख ही लिए। फिल्म के प्रथम half में मुझे समझ नहीं आया कि ये Horror movie में सास बहू की जबरदस्ती और बेकार वाली comedy देने का क्या तुक है??? यदि ये comedy नहीं होती तो यह औसत दर्जे की फ़िल्म हो सकती थी।
उससे भी ज्यादा अजीब
यह लगा कि अंधविश्वास का पोल खोलने वाला एक extra ordinary mind के
व्यक्ति को इतना बकलोल दिखाया गया जिसे पता ही नहीं चल रहा कि सड़े मांस की बदबू
विकेट से यदि आ रही है तो इसके पीछे क्या कारण हो सकता है??? गाना भी जबरदस्ती ठूसा गया है। एक दो सीन जैसे ढोंगी बाबा की पोल खोलने
वाला सीन, लक्ष्मी किन्नर का stage पर
दमदार speech के अलावा कोई ऐसे सीन नहीं हैं इस फ़िल्म में कि
इसे दुबारा देखा जा सके। कुल मिलाकर ये दुबारा देखने लायक फ़िल्म नहीं है। मैं तो
झेल गया शायद आप नहीं झेल पाएंगे।