Wednesday, 16 March 2022

प्रवचन सिर्फ सुनें ही नहीं बल्कि उसे परखें भी ...

एक सज्जन पुरुष एक कथावाचक बाबा जी (छत्तीसगढ़ में महाराज जी) की तारीफ करते थक नहीं रहे थे। मैंने पूछा कि कोई बेशकीमती ज्ञान बताइये जो उन्होंने आपको दिया हो।

सज्जन - बच्चे को यदि सर्दी हो जाए तो तुलसी के एक 2-3 पत्ते को उसके पैर के तलवे में मौजे में चिपका कर सुला दें। रात भर में सर्दी ठीक हो जाएगा।

मैंने पूछा कि क्या आपको ये बात तार्किक लगती है? उन्होंने महाराज जी की बातों को Quote करते हुए अपने शब्दों में बताया कि तुलसी का पौधे ऐसा विलक्षण पौधा होता है जो सर्वाधिक ऑक्सीजन देता है। जिससे कि बच्चा ठीक हो जाता है।

उनके तर्क सुनकर मैं दंग रह गया। मुझे एक बाबा जी याद आ गए जो परीक्षा में पास होने के लिए बेलपत्र को शिवलिंग से छुआकर सिर से लगाने से कृपा बरसने लगने की बात कर रहे थे। मुझसे रहा नहीं गया। मैंने पूछा एक पत्ता जो पौधे से टूटकर अलग हो गया है, उस पौधे में रातभर श्वसन की क्रिया कैसे हो सकती है? और यदि ऑक्सीजन का सर्दी ठीक होने से कोई संबंध होता तो चिकित्सक को भी सर्दी के patient को ऑक्सीजन मास्क लगवा देना चाहिए?? लेकिन ऐसा होते कहीं आपने देखा है क्या??

दूसरी बात तुलसी पत्ते को छोड़ दीजिए आप बच्चे को केवल मौजे पहनाकर कर ही सुला दीजिये। सुबह तक सर्दी ठीक या कम हो जाएगी। क्योंकि मौजा शरीर को गर्म रखता है जिससे सर्दी ठीक हो जाती है।

ऐसे ही काफी देर विमर्श चलने के बात अंततः वे सज्जन convince हुए कि हरेक प्रवचन को भावविभोर होकर सुनकर ग्रहण करने के बजाय उसे तार्किकता की कसौटी पर परखने के बाद ग्रहण करना चाहिए।

 #तार्किक_चिंतन_की_ओर