छठी शताब्दी ईस्वी के मध्य से गौतम बुद्ध को विष्णु का अवतार माना जाने लगा था। यही कारण है कि इस दौर या इसके बाद में लिखे गए पौराणिक ग्रंथों या अन्य ग्रंथ (11वीं शताब्दी में क्षेमेन्द्र द्वारा लिखित दशावतारचरित एवं 12 वीं शताब्दी में जयदेव द्वारा लिखित गीत गोविंद) या अभिलेखों में ही केवल इन बातों का वर्णन मिलता है। इन्हीं ग्रंथों के आधार पर 11वीं शताब्दी में हिंदुस्तान आए अलबेरूनी भी गौतम बुद्ध को विष्णु के अवतार मानते हैं।[1] रोचक बात यह है कि इससे पूर्व के brahmanical texts में बुद्ध को नास्तिक या चोर बताया गया है। अश्वमेध यज्ञ कराने के लिए इतिहास में जाना जाने वाला ऐतिहासिक चरित्र पुष्यमित्र शुंग ने तो इनके अनुयायियों को मारकर लाने के एवज में पुरस्कार देने की घोषणा कर दी थी।
-
एक सर्वविदित तथ्य है कि किसी भी भाषा को समृद्ध करने में उस भाषा की साहित्यिक विधाएँ अर्थात उस भाषा में लिखित कविता , कहानी , निबंध , यात्रा ...
-
मनुष्य के सामाजिक क्रियाकलापों का अध्ययन ही सामाजिक अध्ययन है। एक अकादमिक विषय के रूप में समस्त विश्व सहित हमारे देश में भी प्राथमिक स्कू...
-
मोहनदास करमचंद गांधी जिन्हें भारतवासी महात्मा गांधी के नाम से संबोधित करती है , न केवल एक लोकप्रिय राजनेता , समाज सुधारक , दार्शनिक थे , ...