महान भारतीय दार्शनिक
अरविंद घोष की नगरी के नाम से प्रसिद्ध पुड्डुचेरी (20 सितंबर 2006 तक पांडिचेरी)
हमारे देश भारत का एक ऐसा केंद्रशासित प्रदेश है जिसका विस्तार भारत के पूर्वी
समुद्र तट (मलाबार तट) के साथ-साथ
पश्चिमी तट (कोरोमंडल तट) पर भी है। इसे यूं कहें कि यह केंद्र शासित प्रदेश हमारे
देश के तीन अलग-अलग राज्यों में विस्तृत है। इन अलग-अलग
राज्यों में इसके भूभाग (संबंधित जिले) स्थित होने के कारण ही इसे केंद्रशासित
प्रदेश का दर्जा दिया गया है।[i]
ऐसा
क्यों?
दरअसल ब्रिटिश
साम्राज्य से स्वतंत्र होने के पश्चात अलग-अलग भारतीय राज्यों की सीमा से लगे चार
फ्रांसीसी बस्तियां (उपनिवेश) थी – पुड्डुचेरी एवं कराइकल (दोनों तमिलनाडु से सटी),
यनम (आंध्र प्रदेश की सीमा से लगी) और माहे (केरल की सीमा से लगी)। हालांकि एक
अन्य उपनिवेश पश्चिम बंगाल स्थित चंदननगर भी था जिसे जून 1949 ई. में जनमत संग्रह
कराने के पश्चात मई 1950 ई. में फ्रांसीसी उसका विलय भारत में करने को तैयार होना
पड़ा। लेकिन शेष 4 उपनिवेश फ्रांस छोड़ने को तैयार नहीं था। ऐसे में पुड्डुचेरी के
फ्रांसीसी कपड़ा मिलों में भारतीय मजदूरों के शोषण के खिलाफ आवाज उठाने वाले
कम्युनिष्ट पार्टी के नेता वी. सुबब्ईया के ‘डायरेक्ट एक्शन’ और भारतीय
प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के फ्रांसीसी सरकार से लगातार बनते दवाब से विवश होकर
13 अक्टूबर 1954 को तत्कालीन फ्रांसीसी प्रधानमंत्री पियरे मेन्डेस फ़्रांसे को
झुकना पड़ा और पॉन्डिचेरी के भारत में विलय करने के लिए मजबूर होना पड़ा।[ii] इसके पश्चात दिनांक 1 नवंबर
1954 को पांडीचेरी, कराइकल, यमन, माहे जैसे फ्रांसीसी उपनिवेशों को भारत में विलय
कर दिया गया।
प्राचीन
काल से ही पल्लव, चोल, विजयनगर साम्राज्य, बीजापुर सल्तनत द्वारा शासित रहने के
पश्चात 1674 ई. से यह एतिहासिक व्यापारिक नगर फ़्रांसीसियों के अधिकार क्षेत्र में
रही। सूरत से अपने व्यापारिक सफर की शुरुआत करने के पश्चात 1674 ई. में फ्रांसीसी
गवर्नर फ्रांसिस मार्टिन ने पुड्डुचेरी (तत्कालीन पांडीचेरी) को एक फ्रांसीसी बस्ती/उपनिवेश
के रूप में विकसित किया। 1673 ई. में बीजापुर के सुल्तान के सूबेदार शेर खान लोदी
से उन्हें पांडीचेरी एक व्यापारिक केंद्र स्थापित करने के लिए मिला।[iii] इसी क्रम में 1725 ई. में
माहे, 1731 ई. में यनम एवं 1739 ई. में कराइकल फ्रांसीसी उपनिवेश/बस्ती के रूप में
विकसित किए गए।[iv]
थोड़े-थोड़े समय के लिए ये ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकार क्षेत्र में भी रहे।
लेकिन अलग-अलग समय पर हुए समझौतों से ये नगर केवल व्यापारिक गतिविधियों के लिए
फ़्रांसीसियों को वापस मिलता रहा। 280 वर्षों तक फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा शासित
एवं विकसित इन फ्रांसीसी उपनिवेशों को 1 नवंबर 1954 को भारतीय संघ में मिलाया गया।[v] इसी क्रम में फ्रांसीसी संसद
द्वारा भारत के साथ संधि की पुष्टि मिलने के बाद भारत सरकार के संघ-राज्य क्षेत्र
शासन अधिनियम के तहत 16 अगस्त 1962 ई. में पुड्डुचेरी को केंद्रशासित प्रदेश घोषित
किया गया। चूंकि पुड्डुचेरी इनमें से सबसे बड़ी बस्ती थी, इसलिए इस नवनिर्मित राज्य
के इस नगर को इसकी राजधानी बनाया गया। उपरोक्त उल्लेखित ये 4 नगर (पुड्डुचेरी,
कराइकल, यनम और माहे) ही इनके 4 जिले हैं।