Facebook पर एक पार्टी क समर्थक के किए post पढ़ रहा था। जिसमें वे कह रहे थे कि '70 साल तक भारतीय रेल की पटरी पर टट्टी बहती रहती थी, *** सरकार ने इससे निजात दिलाया है'। थोड़ी देर के लिए मुझे ये सही लगी और अच्छी भी लगी। फिर थोड़ा doubt हुआ। google पर registered अलग-अलग websites से मदद लिया तो पता चला कि जिस bio - toilet के कारण भारतीय रेल की पटरी लगभग टट्टी मुक्त हुई है उसका सबसे पहला use ग्वालियर-वाराणसी बुंदेलखंड एक्सप्रेस में जनवरी 2011 में किया गया था। इस project की शुरुआत भारतीय रेल द्वारा 2009 में किया गया और 2011 में इसे क्रियान्वित कर लिया गया। दोनों ही कार्य यू पी ए (कॉंग्रेस पार्टी की बहुलता वाले) के कार्यकाल में सम्पन्न हुए।
CAG की report में भी
इसे पढ़ा जा सकता है।