जरा
सोचिये
एक सरकार अरबों रुपये खर्च कर कोई जनोपयोगी योजना शुरू करती है।
योजना की शुरुआत करने में करोड़ों रुपयों की हेराफेरी की बात से इनकार नहीं किया जा
सकता।
लेकिन सत्ता बदलते ही दूसरी सरकार एक साजिश कर निजी स्वार्थ के लिए
उस जनोपयोगी योजना को बंद करवा देती है, उसके जगह पर कुछ
और योजना लाने, लागू करने की जुगत लगाती है ताकि इसी बहाने
वह भी करोड़ों की राशि का गबन कर सके।
या
निजी एम्बुलेंस सेवा देने वाले लोगों के इशारों पर जान बूझ कर इन
सेवाओं को बंद करवाया जाता है। और सत्ता में बैठे लोग अपने कमीशन की उगाही इन निजी
एम्बुलेंस कंपनियों से की जाती है।
हर तरफ से नुकसान केवल देश की जनता का होता है। हम जनता को इस
भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाने की आवश्यकता है नहीं तो ये भ्रष्ट नेता लोग
पूंजीपतियों के साथ मिलकर एकदिन हमारी आपकी लंगोटी भी खींच ले जाएगी।