Friday, 5 April 2019

हमारा सौर मण्डल



मंदाकिनी/आकाशगंगा
·      हमारी पृथ्वी जिस आकाशगंगा का अंग है इसमें लगभग 150 अरब तारे हैं। सूर्य भी इनमें से एक तारा है। खगोलशास्त्रियों के अनुसार ऐसे आकाशगंगाएँ करोड़ों की संख्या में हैं।
·      सूर्य तथा पृथ्वी के बीच की दूरी 15 करोड़ किलोमीटर है। प्रकाश की किरण 1 सेकंड में 300000 किलोमीटर की दूरी तय करती है। इस आधार पर कहां जा सकता है कि सूर्य के प्रकाश को सूर्य से पृथ्वी तक की दूरी तय करने में 8 सेकंड का समय लगता है।
·      इस आकाशगंगा का इतना अधिक विस्तार है कि इनकी दूरी को किलोमीटर या मील में बताना एक कठिन कार्य है इसलिए इसे प्रकाशवर्ष में मापा जाता है। प्रकाशवर्ष से तात्पर्य है प्रकाश के वेग का पैमाना।
·      सूर्य तथा पृथ्वी के बीच की दूरी 15 करोड़ किलोमीटर है। प्रकाश की किरण 1 सेकंड में 300000 किलोमीटर की दूरी तय करती है। इस आधार पर कहां जा सकता है कि सूर्य के प्रकाश को सूर्य से पृथ्वी तक की दूरी तय करने में 8 सेकंड का समय लगता है।
·      एक प्रकाशवर्ष 94, 63, 00, 00, 00, 000 किलोमीटर के बराबर होता है।
·      हमारे आकाशगंगा का व्यास 1,00,000 प्रकाश वर्ष है।
आकाश गंगा 

सूर्य
·       सूर्य आकाशगंगा का एक सामान्य तारा है। अपने ग्रहों तथा उपग्रहों को साथ लेकर प्रतिसेकंड 220 किलोमीटर के वेग से यह आकाशगंगा की परिक्रमा करता है। आकाशगंगा की परिक्रमा पूरी करने में इसे 25 करोड़ वर्ष लगते हैं।
·       नौ/आठ ग्रह इसके अंडाकार पथ पर परिक्रमा करते हैं।
·       पृथ्वी से यह 109 गुणा बड़ा तथा 3,30,000 गुणा भारी है। यह इतना बड़ा है कि पृथ्वी जैसे 13,00,000 पिंड इसमें समा सकते हैं।  
·       पृथ्वी से सूर्य की दूरी 14, 90, 00, 000 किलोमीटर है।
·       सूर्य के किरण को इतनी दूरी तय करने में 8 मिनट का समय लगता है।
·       सौर परिवार में 9 ग्रह, लगभग 60 उपग्रह, हजारों क्षुद्र ग्रह, धूमकेतु, उल्काएँ आदि शामिल हैं।
·       सूर्य के सतह का तापमान 60000 – 1,50,00,0000 सेंटीग्रेड है। 

सूर्य 


ग्रह
बुध
·       सूर्य के सबसे नजदीक स्थित ग्रह है।
·       इसका व्यास 4,850 किलोमीटर है।
·       59 दिनों में यह अपने अक्ष पर एक बार घूम जाती है।
·       88 दिनों में ही यह सूर्य की परिक्रमा पूर्ण करता है।
·       दिन में इसका तापमान 4000 सेंटीग्रेड तथा रात में 00 से भी कम होता है। इसलिए यहाँ जीवों का अस्तित्व नहीं है। 
·       इसका कोई उपग्रह नहीं है।

 
बुध ग्रह 

शुक्र
·       चंद्रमा के बाद शुक्र ही सबसे चमकीला पिंड है।
·       पृथ्वी के सबसे नजदीक स्थित ग्रह है।
·       इसे भोर/सायंकाल का तारा भी कहा जाता है। हालांकि यह तारा नहीं बल्कि ग्रह है।
·       225 दिनों में सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करता है।
·       इसका व्यास 12,228 किलोमीटर है।
·       इसके सतह का तापमान 4000 सेंटीग्रेड से भी अधिक रहता है।
·       अपनी धूरी पर पूर्व से पश्चिम दिशा में घूमता है।
·       बुद्ध के समान शुक्र ग्रह का भी कोई उपग्रह नहीं है।
शुक्र ग्रह 

पृथ्वी
·      यह प्रति सेकंड 29.76 किलोमीटर की गति से 365 दिन में सूर्य का एक चक्कर लगाती है।
·      यह 23 घंटे 56 मिनट 24 सेकंड में अपनी धूरी पर एक बार घूम जाती है।
·      सौर मंडल का एकमात्र ग्रह है जहां जीवन है।
·      इसे नीला ग्रह कहा जाता है।
पृथ्वी 
 
मंगल
·      इसे लाल ग्रह कहा जाता है।
·      687 दिनों में सूर्य की परिक्रमा पूरा करता है।
·      इसके दो उपग्रह हैं।
 
मंगल ग्रह 

बृहस्पति
·      यह सौर मंडल का सबसे बड़ा ग्रह है।
·      यह पृथ्वी से 1300 गुणा बड़ा है।
·      सूर्य की परिक्रमा पूरी करने में इसे 12 वर्ष लगते हैं।
·      अपनी धूरी पर घूमने में इसे 10 घंटे लगते हैं।
·      इसके उपग्रहों की संख्या 16 है।
·      इसे सौर मंडल का दूसरा सूर्य भी कहा जाता है।
·      इसके सतह को अभी तक देखा नहीं जा सका है। क्योंकि सतह से ऊपर हाइड्रोजन, मिथेन, अमोनिया जैसी जहरीली गैसों से निर्मित हजारों किलोमीटर का वायुमंडलीय परत है।
·      गैनीमिडे उपग्रह सौरमंडल का सबसे बड़ा उपग्रह है।
 
बृहस्पति 

शनि
·      बृहस्पति के बाद सौर मंडल का यह दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है।
·      इसके चारों ओर 7 वलय हैं।
·      इसके उपग्रहों की संख्या 17 है।
·      सूर्य की परिक्रमा पूर्ण करने में 30 वर्ष का समय लगाता है।
·      सूर्य से अत्यधिक दूर होने के कारण यह एक ठंढा ग्रह है।
 
शनि 

यूरेनस (अरुण)
·      बृहस्पति तथा शनि के बाद यह सौर मंडल का तीसरा सबसे बड़ा ग्रह है।
·      1781 ई. में विलियम हर्षल ने अत्याधुनिक व बड़े दूरबीन की सहायता से इस ग्रह की खोज की। उन्होंने इसे यूरेनस नाम दिया।
·      84 वर्षों में सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करता है।
·      11 घंटों में अपनी धूरी पर एक बार घूम जाता है।
·      मिथेन तथा हाइड्रोजन गैस से निर्मित घने वायुमंडल के कारण इसकी सतह देखी नहीं जा सकती।।
·      इसके उपग्रहों की संख्या 15 है।
 
यूरेनस 
नेपच्यून (वरुण)
·      इस ग्रह की खोज 1846 ई. में हुई थी, इसे खोजने का श्रेय फ्रांस के खगोलविद लवेरिए को जाता है।
·      रोमन सागर के देवता के नाम पर इसे नेपच्यून नाम दिया गया। चुकी हमारे देश में वरुण को सागर का देवता माना जाता है, इसलिए हमारे देश में इसे वरुण के नाम से भी जानते हैं।  
·      इसका व्यास 45, 000 किलोमीटर है।
·      165 वर्षों में सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करता है।
·      15 घंटे 48 मिनट में अपने अक्ष पर एक चक्कर लगाती है।
·      इसका वायुमंडल भी यूरेनस की तरह मिथेन तथा हाइड्रोजन जैसी जहरीली गैसों से बना है।
·      इसके उपग्रहों की संख्या 8 है।
 
नेपच्यून 
उपग्रह व अन्य खगोलीय पिंड
चंद्रमा
·      यह पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह है।
·      पृथ्वी के सबसे नजदीक स्थित खगोलीय पिंड है।
·      यह एक किलोमीटर प्रति सेकंड के वेग से 27 दिन, 7 घंटे, 43 मिनट, 11 सेकंड में पृथ्वी की एक परिक्रमा पूरी करता है।
·      27 दिन, 7 घंटे, 43 मिनट, 11 सेकंड समय में ही यह अपने अक्ष पर एक बार घूम जाता है।
·      चंद्रमा का एक गोलार्द्ध ही पृथ्वी की ओर रहता है। दूसरा गोलार्द्ध कभी दिखाई नहीं देता।
·      दिन के समय यहाँ का तापमान 1300 सेंटीग्रेड जबकि रात में -1500 चला जाता है।
चंद्रमा 



धूमकेतु
·      इसे कॉमेट (लंबे बालों वाला) या पुच्छल तारा भी कहते हैं।
·      एडमंड हेली ने इसका पता लगाया।
·      ग्रहों की तरह धूमकेतु भी सौर मंडल के सदस्य हैं जो सूर्य की परिक्रमा करते हैं।
·      इसके तीन भाग होते हैं – नाभिक, सिर तथा पूंछ। नाभिक का व्यास आधे किलोमीटर से लेकर 50 किलोमीटर तक हो सकता है। धूमकेतु के ये नाभिक बर्फ बनी गैसों तथा अन्य पदार्थों के मेल से बनी होती है। धूमकेतु जब सूर्य के नजदीक पहुंचता है तो सूर्य के ताप से यह गर्म हो जाता है और इसकी बर्फीली गैसें तथा धूलकण बाहर निकलते हैं। इससे सूर्य के सामने नाभिक की गैसें फैलकर चमकने लगती है और इस प्रकार धूमकेतु का सिर बनता है।
·      धूमकेतु के नाभिक से निकली गैसें सौर – वायु अथवा विकिरण के दाब से बहुत दूर तक फैलकर चमकने लगती है, इसे धूमकेतु की पूंछ कहते हैं। यह पूंछ 20 करोड़ किलोमीटर तक फैल जाती है।  
·      यह 76 वर्षों में पृथ्वी के नजदीक आती है।
धूमकेतु 

उल्काएँ
·      आकाश में दिखनेवाले टूटते तारों को उल्काएँ कहते हैं।
·      यह विखंडित धूमकेतु के कण होते हैं।
·      अधिकांश उल्काएँ मूंग के दाने से भी छोटी होती है।
·      ये उल्काएँ जब वायुमंडल में पहुँचती हैं तो वायुमंडल के अणुओं के साथ इनका घर्षण होता है। इस घर्षण से भाप बनता है जो टूटते तारे के रूप में चमकने लगते हैं।
·      ये उल्कापिंड लोहे तथा पत्थर के बने होते हैं।
उल्काएँ 


क्षुद्र ग्रह
·      मंगल तथा बृहस्पति के बीच 2000 से भी अधिक क्षुद्र ग्रह हैं जो सूर्य की परिक्रमा करते हैं। चुकी इनके आकार काफी छोटे हैं तथा ये किसी ग्रह की नहीं बल्कि सूर्य की परिक्रमा करते हैं इसलिए इन्हें बौने ग्रह, लघु ग्रह या क्षुद्र ग्रह कहा जाता है।
·      एक अनुमान के अनुसार क्षुद्र ग्रहों की संख्या लाखों में है।
·      सबसे बड़ा क्षुद्र ग्रह सीरेस है जिसका व्यास 768 किलोमीटर है।
·      हजारों क्षुद्र ग्रह ऐसे हैं जिन का व्यास 1 से 100 किलोमीटर है।
क्षुद्र ग्रह 


प्लूटो (यम)
·       टोम्बो नामक अमेरिकी खगोलशास्त्री ने 1930 ई. में एक ग्रह की खोज की, जिसे प्लूटो नाम दिया।
·       यह सूर्य से काफी दूर था जहां सूर्य की रौशनी कम पहुँचती थी। इस आधार पर यूनानी यमलोक के देवता के नाम पर इसे प्लूटो नाम से संबोधित किया गया। इसी आधार पर प्लूटो को हमारे देश में यम के नाम से भी संबोधित किया जाता है।  वास्तविकता यह है कि पूर्णिमा के दिन चंद्रमा से जितनी रौशनी हमें मिलती है इसका 275 गुना तेज रौशनी प्लूटो को सूर्य से मिलती है।
·       इसका व्यास 5500 किलोमीटर है।
·       यह 248 वर्ष में सूर्य का एक चक्कर लगाती है।
·       अभी तक इसके एक उपग्रह खोजे जा चुके हैं।




अन्य महत्वपूर्ण जानकारियाँ
·      आकाशगंगा में लगभग 150 अरब तारे हैं, इनमें से रात्रि में आकाश में कोई व्यक्ति 3000 तारे ही देख सकता है।



*स्त्रोत - मुले, गुणाकार (2010) : सौर मंडल, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली, दसवां संस्करण