Monday, 3 August 2020

हिंदू धर्म में नदियों के उद्गम तथा संगम स्थल को अत्यधिक महत्व क्यों दिया जाता है?


गंगोत्री (गंगा का उद्गम), यमुनोत्री (यमुना का उद्गम), केदारनाथ (मंदाकिनी का उद्गम) बद्रीनाथ (अलकनंदा का उद्गम) अमरकंटक (सोन व नर्मदा का उद्गम) की यात्रा करने के बाद भी एक सवाल का उत्तर नहीं मिला कि आखिर हिंदू/सनातन धर्म में नदियों के उद्गम तथा संगम स्थान को इतना अधिक मान्यता क्यों दिया जाता है? इसका उत्तर आज गांधी शांति प्रतिष्ठान द्वारा प्रकाशित, रामेश्वर मिश्र 'पंकज' जी की एक पुस्तक 'नदियां और हम' पढ़ते हुए मिला -
ऋग्वेद के एक श्लोक (आठवां मंडल, छठा सूक्त, अट्ठाईसवां श्लोक) के अनुसार, 'बोध की प्राप्ति हमारे पूर्वजों को पर्वतों की घाटियों और नदियों के संगम पर हुई"। (उपह्वरे गिरिणाम संगथे च नदीनाम् । धियो विप्रो अजायत्॥ इस संकेत में यह निहित है कि जो भी व्यक्ति गिरी आश्रय में या नदी के संगम में ध्यान मनन अवधारण करेगा, उसे बोध की, पवित्र धी (बुद्धि) की प्राप्ति होगी।