Mythological Character शिव के बारे में कहा जाता है कि उनके पास तीन आँखें हैं। दो आंखें दुनिया
को देखने के लिए हमेशा खुली होती है तो वहीं तीसरी आंख किसी विषम परिस्थिति में
खुलकर कुछ अनोखे कारनामे करती है। अन्य संप्रदाय के लोग भी अपने-अपने देवी-देवताओं
के भी तीन आंखें होने के दावे करते रहते हैं, मूर्तियों
तथा तस्वीरों के माध्यम से इसे समझा जा सकता है।
मेरा मानना है कि सिर्फ Mythological देवी-देवताओं
के पास 3 आँखें हों या न हों, हम सभी मनुष्यों के पास
तो तीन आंखें होती ही हैं। दो आंखों को हम दुनिया को प्रत्यक्ष रूप से देखने के
लिए इस्तेमाल करते हैं। तीसरा नेत्र अदृश्य होता है। लेकिन वह भी निश्चित समय पर
पर्याप्त साधना के पश्चात खुलता जरूर है। यहां साधना से तात्पर्य है किसी क्षेत्र
विशेष में काफी गहराई तक चिंतन-मनन कर उसके ऐसा होने (कार्य कारण संबंध) के लिए
उत्तरदाई कारण को निकालना है। इस कार्य-कारण संबंध को निकालना तभी संभव हो पाता है
जब उसका तीसरा नेत्र खुलता है। यह तीसरा नेत्र व्यक्ति को उस प्रत्यक्ष से परे
देखने की क्षमता प्रदान करता है।
बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध भी इसी तीसरी नेत्र को खोल
पाए तब जाकर बुद्ध हुए। हमें भी अपने तीसरे नेत्र को
खोलने के लिए प्रेरित होना चाहिए।