चमत्कार। एक ऐसी युक्ति
जो सीधे-साधे भोले-भाले लोगों को किसी भी धार्मिक मान्यताओं को मानने के लिए मजबूर
करती है। यह चमत्कार कितना सत्य है कितना मिथक? यह हमारी आपकी
आस्था पर निर्भर करता है। आप चाहे किसी भी धर्म-संप्रदाय से संबंधित हो, आस्था की नजर से यदि देखेंगे तो प्रत्येक जगह आपको चमत्कार के प्रसंग
मिलेंगे। लेकिन यदि थोड़ी आलोचनात्मक नजरिए को अपनाएं तो यह चमत्कार या तो आपको
विज्ञान के खेल लगेंगे या आपको ठगने के हथकंडे। सर्वाधिक चमत्कार के किस्से
संस्कृत ग्रन्थों में या तो आपको त्रेता युग के मिलेंगे या द्वापर युग के।
एक उदाहरण लेते हैं त्रेता युग में राम
उनकी वानर सेना द्वारा निर्मित रामसेतु को। रामायण, महाभारत,
रामचरितमानस सहित अनेक ग्रंथों की माने तो अपनी पत्नी सीता को लंका
के राजा रावण की कैद से मुक्त कराने के लिए राम ने भारत और श्रीलंका के बीच के समुद्र
पार करने के उद्देश्य से रामसेतु बनाई। इस सेतु के निर्माण में राम की सेना में
प्रयुक्त वानरों को लगाया गया था। यह भी कहा जाता है कि जिस पत्थर पर राम लिख दिया
जाता था वह पत्थर तैरने लगता था। इसे हम राम नाम का चमत्कार मान सकते हैं। लेकिन
अब सवाल उठता है कि आज यह चमत्कार क्यों नहीं दिखता। आज राम सेतु समुद्र में डूबा
हुआ क्यों है? यदि राम वास्तव में चमत्कारी हैं, यदि राम नाम में वास्तव में शक्ति है तो राम द्वारा निर्मित रामसेतु के
पत्थर अभी भी बिना डूबे सही सलामत होते। लेकिन आज ऐसा नहीं है।
एक और उदाहरण लेते हैं राम भक्त हनुमान
जी की। विष्णु, राम, हनुमान आदि
देवताओं की उपासना करने वाले भक्तों का मानना है कि हनुमान से बढ़कर ना कोई राम
भक्त हुआ है और ना होगा। अहिरावण और महिरावण जब राम और लक्ष्मण को अपने बस में कर
लिया था तो परम राम भक्त हनुमान जी ने ही राम और लक्ष्मण को उसके कब्जे से मुक्त
कराया था। संजीवनी बूटी लाकर हनुमान ने ही लक्ष्मण की जान बचाई थी। लेकिन आश्चर्य
की बात है कि राम जन्मभूमि पर स्थित मंदिर को तोड़कर जब एक मुस्लिम व्यक्ति द्वारा
वहां मस्जिद बनाई जा रही थी तब राम भक्त हनुमान कहां थे? क्यों
वे अपने परम देवता राम के मंदिर को टूटने से बचा नहीं सके?
ऐसा ही एक उदाहरण छत्तीसगढ़ के दामखेड़ा नामक
स्थान पर देखने को मिला जो कबीरपंथ के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है। ऐतिहासिक दृष्टि
से यदि कबीर जी का अवलोकन करें तो वे एक समाज सुधारक थे जो अपने विचारों से अनर्गल
कर्मकांडों/कृत्यों का खंडन करते थे, लेकिन दामखेड़ा में कबीर जी की जीवन प्रदर्शिनी देखकर हम आप सभी यही कहेंगे
कि कबीर जी भी कोई चमत्कारी पुरुष थे।
ऐसे ही अनेक सवाल हैं जिसके जवाब ना
आपको पौराणिक ग्रंथों में मिलेंगे ना ही कोई देवी-देवता इसे बताने के लिए आएंगे।
क्योंकि... चमत्कार केवल किसी देवी देवता को लोकप्रिय बनाने का हथकंडा मात्र है और
कुछ नहीं।