Wednesday 8 June 2016

कहानी भारत के एक लाल महान की

आओ सुनाएँ हम एक कहानी
भारत के उस लाल महान की
जिसने हमको पाठ पढ़ाया
समता और आत्मसम्मान की
अस्पृश्यता का दंश झेलकर भी
अस्पृश्य समाज का जिसने किया कल्याण  
गौतम बुद्ध की शिक्षाओं को जिसने
नवयान द्वारा दिया एक नया आयाम  
हजारों वर्षों से शोषित जनसमूह को जिसने
संविधान द्वारा निःशस्त्र न्याय दिलवाया था  
स्त्रियों के हितों के लिए जिसने
निःस्वार्थ हिंदू कोड बिल बनाया था
यूँ तो साहित्य में वे भारतीय संविधान के जनक कहलाते हैं  
पर जनमानस में तो वे
बाबासाहब भीम राव अम्बेडकर के नाम से जाने जाते हैं
महाद टैंक सत्याग्रह से जिसने
ब्राह्मणवादी मानसिकता को ललकारा था
दलितों को सम्मान दिलाने के लिए जिसने
फुले के मशाल को आगे बढ़ाया था
अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देश भी जिनकी विद्वता का करते थे सम्मान  
उस महान विभूति को अपने ही देश में
समय-समय पर सहना पड़ा अपमान
फिर भी इस लाल ने हिम्मत कभी न हारी   
जाति व्यवस्था को खुलकर ललकारी
लाख कष्ट सहते हुए भी, अस्पृश्यता पर करके प्रहार
आखिर हमें दिया एक दिन समानता का उपहार  
यही है कहानी भारत के उस लाल महान की
जिसने हमको पाठ पढ़ाया, समता और आत्मसम्मान की ।

                                                                            
(भोपाल से प्रकाशित मासिक पत्रिका "द बुद्धिस्ट टाइम्स" के अप्रैल 2016 विशेषांक में प्रकाशित)