Saturday 25 August 2018

वर्धा (महाराष्ट्र) का ऐतिहासिक लक्ष्मी नारायण मंदिर जहां अस्पृश्यों को सबसे पहले मिला प्रवेश (Laxmi Narayan Temple Of Wardha (Maharashtra) where Untouchables firstly got Permission to Worship)

जमना लाल बजाज की नगरी वर्धा से गांधी जी के सेवाग्राम आश्रम जाने के मार्ग पर बस स्टैंड के नजदीक दुर्गा टॉकीज के सामने स्थित है ऐतिहासिक लक्ष्मी नारायण मंदिर। अपनी दादी सदीबाई की इच्छा पर प्रसिद्ध उद्योगपति जमनालाल बजाज जी ने 1905 ई. में इस मंदिर का निर्माण करवाया। 22 महीने की मेहनत के बाद 1907 में लक्ष्मी तथा विष्णु की प्रतिमा स्थापित होने के साथ ही इस मंदिर का निर्माण कार्य पूर्ण हुआ। 113 वर्ष प्राचीन यह ऐतिहासिक मंदिर हमारे देश का पहला ऐसा मंदिर है जो आज के समय में अप्रासंगिक हिंदू सामाजिक व्यवस्था को तोड़ने का गवाह बना। जमना लाल बजाज के प्रयास से 19 जुलाई 1928 ई. में इस मंदिर को अस्पृश्यों के लिए खोल दिया गया। विनोवा भावे के नेतृत्व में अस्पृश्यों के एक समूह ने मंदिर में प्रवेश कर पूजा किया।[1] वह भी ऐसे समय में जब डॉ. भीमराव अम्बेडकर नाशिक स्थित काला राम मंदिर में 2 मार्च 1930 को प्रवेश के लिए संघर्ष कर रहे थे। भारत छोड़ो आंदोलन शुरू करने के लिए मुंबई जाने से पूर्व गांधी जी भी यहाँ आए थे। गर्भगृह में स्थापित लक्ष्मी नारायण की मूर्ति कभी गहनों-आभूषणों से लदे होते थे। लेकिन 1944 ई. में ये आभूषण चोरी हो जाने के बाद गांधीजी की सलाह पर इन्हें आभूषण मुक्त कर दिया गया।[2] 
वर्तमान समय में यह मंदिर जमनालाल बजाज फ़ाउंडेशन द्वारा संचालित किया जाता है।




[1] http://www.jamnalalbajajfoundation.org/wardha/laxminarayan-mandir
[2] https://www.bhaskarhindi.com/news/wardhas-lakshmi-narayan-temple-know-history-7014




Sunday 19 August 2018

केरल बाढ़ पीड़ितों के सहायतार्थ


कई दिनों से लगातार बारिश ने दक्षिण भारतीय राज्य केरल में जल प्रलय की स्थिति उत्पन्न कर दी। स्वतंत्रता दिवस, अटल बिहारी बाजपेयी के निधन से पूरे देश के साथ-साथ मेरा ध्यान भी इस जल प्रलय की ओर नहीं गया। आज दिनांक 19/08/2018 को मीडिया में जिस तरह की तस्वीरें दिखी उसे देखकर मैं विचलित हो गया। तुरंत विचार आया शारीरिक रूप से न सही, आर्थिक रूप से उनको मदद तो कर ही सकता हूँ। इसी दौरान एक न्यूज़ मिली की एक स्नातक छात्रा ने मछ्ली बेचकर अपनी पढ़ाई के लिए जमा किए रुपयों में से 1.5 लाख रुपए केरल के बाढ़ राहत कोष में दान दिये। इस घटना से inspire होकर मैंने भी तुरंत अपनी क्षमतानुसार 500 रुपए केरल के मुख्यमंत्री बाढ़ राहत कोष में paytm के माध्यम से transaction कर दिया
उनकी मदद कर काफी प्रसन्नता हुई क्योंकि यह मेरे लाइफ का पहला donation था। 


इसके 2 दिनों बाद ही विश्वविद्यालय के शोधार्थी मित्रों व 10 संस्थाओं के साथ सहयोग देते हुए वर्धा के पंजाब राव कॉलोनी, गजानन नगर, आर्वी नाका क्षेत्र, बजाज चौक, बस स्टैंड, सब्जी मंडी आदि स्थान पर घर-दुकान जाकर लगभग 82 हज़ार रुपए इकट्ठा कर केरल भेजा। 


वर्धा के लोगों के दरियादिली की जितनी तारीफ की जाय बहुत ही कम होगी। कहने में जरा भी संकोच नहीं कि ऐसा अभियान यदि हम अपने नॉर्थ इंडिया में चलाते तो इतनी आसानी से इतना अधिक फ़ंड इकट्ठा नहीं हो पाता। दिल से Salute वर्धा वासियों। 

Tuesday 7 August 2018

घर की इज्जत


 किसी के घर की इज्जतबताकर हम बेटियों को
हमारी इज्जतखुद ही लूटते आए
तुम, तुम्हारा ये समाज ।
रिश्तों का मर्मसमझाकर हमें
खुद ही रिश्तों को शर्मसार करते आए
तुम, तुम्हारा ये समाज ।
चाल-चलन-सोच तुम्हारे गंदे रहे
फिर भी कुल्टा, बदचलन के आरोप
हमपर लगाते रहे
तुम, तुम्हारा ये समाज ।
हमारी यौनिकता पर पहरे लगाकर भी
वेश्याओं के पास भटकते रहे
तुम, तुम्हारा ये समाज ।
तुम्हारे हर जुल्म, अन्याय बर्दास्त किए हमने
खुद को घर की इज्जतजानकर ।
बस
बहुत कष्ट दिये हमें
इस घर की इज्जतके मिथक ने
अब हमें इस मिथक को तोड़ना है,
और
जिस दिन हम इसे तोड़ने में सफल हो गए
तुम, तुम्हारे समाज के
मंत्री, संतरी, मठाधीश, धर्मरक्षक
कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे ।


 (मूलतः पाक्षिक समाचार पत्र 'वीक ब्लास्ट' 1-15 अगस्त 2018 में प्रकाशित)