Friday 24 February 2017

गधा विमर्श

"हर कुत्ते का एक दिन आता है" ये बचपन से ही सुनते आया ।
आज हाशिये की ज़िंदगी जी रहे गधे का तो पूरा सप्ताह आ गया ।
मीडिया, सोसल मीडिया, विधायक, सांसदमुख्यमंत्रीप्रधानमंत्री, जिसे देखो "गधा विमर्श" में डूबा हुआ है । मैं भी इससे अछूता नहीं रह सका । खुशी है कि उत्तर प्रदेश चुनाव के ही बहाने मुख्यधारा के #गाय की जगह #गधे को तो प्राथमिकता मिली। प्रधानमंत्री जी ने जिस तरह से गधा महिमा का गुणगान किया । उम्मीद है गौमाता की तरह गधों के भी अच्छे दिन आएंगे ।

Monday 20 February 2017

धर्मनिरपेक्ष राज्य में प्रधानमंत्री द्वारा सांप्रदायिक द्वेष फैलाने की कोशिश निंदनीय

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव प्रगति पर है । सभी पार्टियां अपनी अपनी ज़ोर आजमाइश में लगी है । वर्तमान सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी व काँग्रेस गटबंधन अखिलेश सरकार के 5 साल की उपलब्धियां गिनाकर, बहुजन समाज पार्टी अपने 5 वर्ष पूर्व कार्यकाल की उपलब्धियों को गिनाने के साथ-साथ सपा राज में गुंडों के बढ़ते वर्चस्व, कानून व्यवस्था की पोल खोलकरजनता का रुख अपने अपने पक्ष में करने की पूरी कोशिश में लगे हैं । सभी को जनमत अपने अपने पाले में दिख रहा है । विभिन्न पार्टियों द्वारा समर्थित न्यूज़ चैनल, समाचार पत्र exit pole द्वारा अपने अपने समर्थित पार्टियों के पक्ष में real या fake माहौल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है । चुनाव आयोग द्वारा धर्म के नाम पर वोट मांगने संबंधी प्रतिबंध लगाने के बाद राम मंदिर निर्माण मुद्दा, हिंदू मुस्लिम जनसंख्या वृद्धि मुद्दे, तीन तलाक मुद्दे पर राजनीति की नहीं जा सकती । ऐसे में धार्मिक/जातिगत उन्माद फैलाने में माहिर नेता/नेत्री के मुख पर ताले पड़ गए हैं । हालांकि सोसल मीडिया के माध्यम से दबे पाँव ऐसी हरकतें लगातार चल रही है । 
हैरत की बात ये है कि केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी के पास सत्तारूढ़ पार्टी को घेरने का कोई मुकम्मल कारण ढूंढ नहीं पा रही है । नोटबंदी इनके लिए जबर्दस्त मुद्दा हो सकता था लेकिन इस असफल नीति के कारण उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश की जनता को जो फजीहत हुई, इसके कारण कोई इस मुद्दे पर बोलने को तैयार नहीं है । पूरे ढाई वर्ष में ऐसी कोई उपलब्धि भी नहीं है जिसके आधार पर वोट की अपील की जा सके । बीजेपी को इस बात का एहसास पहले से है कि सपा और काँग्रेस को देश/उत्तर प्रदेश के मुसलमान के साथ साथ हिंदू जनता भी सपोर्ट करते हैं । यही कारण है कि 73 लोक सभा सीट होने के बावजूद बीजेपी हताश दिख रही है । ऐसे हताशा भरे समय में हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण के लिए उनके पास communal statement से बढ़िया हथियार कोई हो ही नहीं सकता । अंततः इसका दुरुपयोग 20 फरवरी 2017 को उत्तर प्रदेश की फ़तेहपुर में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने कर ही दिया । एक धर्मनिरपेक्ष राज्य के प्रधानमंत्री के रूप में ऐसे गरिमामयी पद से इसका दुरुपयोग काफी निंदनीय है । श्रीमान जी कम से कम पद की गरिमा का तो ख्याल रखिए । एक तरफ आप खुद धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं होने की वकालत करते हैं दूसरी तरफ आपके मंत्री संतरी खुद धर्म और जाति के नाम पर ऐसा करते हैं । तब आपके मुख से एक आवाज़ नहीं निकलती । 
कुछ भी अनर्गल statement देने से पहले बीजेपी को पूर्व वर्षों के दिल्ली, बिहार, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडू, केरल विधानसभा चुनाव परिणाम को भी याद रखने की जरूरत है ।