Tuesday 23 May 2017

देश की एकता के लिए खतरा है धर्म-जाति के नाम पर सेना का गठन

राजतंत्र से लेकर लोकतंत्रात्मक शासन व्यवस्था में राज्य की सर्वप्रमुख ज़िम्मेदारी होती है अपने नागरिकों की सुरक्षा करना । काबिलाई शासन व्यवस्था से लेकर राजतंत्रात्मक व्यवस्था में जनपद या राज्य द्वारा कुछ मामूली कर के बदले अपने नागरिकों को सुरक्षा देने की शुरुआत हुई । आज गणतंत्रात्मक शासन व्यवस्था में भी सुरक्षा के नाम पर हर वर्ष हम सरकार को कर या टैक्स देते हैं जिससे सरकार हमारे लिए शिक्षा, स्वास्थ्य व्यवस्था देने के साथ-साथ, पुलिस तथा सेना गठित कर हमें सुरक्षा प्रदान करती है । बावजूद इसके धर्म, जाति, समुदाय रक्षा के नाम पर पिछले 70 वर्षों से अलग-अलग सेना, दल का निर्माण लगातार होता रहा है । इन सेनाओं, दलों के अपने अलग-अलग स्वार्थ होते है । हैरत की बात तो यह है कि छोटे-छोटे बच्चों, किशोर-किशोरियों को टारगेट कर उन्हें इस सेना में शामिल किया जाता है । तत्पश्चात अपनी सभ्यता-संस्कृति की जानकारी देने से अधिक दूसरे धर्मों, दूसरे जातियों पर कीचड़ उछालने, उनकी बुराई करने, उनसे नफरत करने की सीख देने के साथ-साथ उनसे लड़ने के लिए अस्त्र-शस्त्र चलाने का प्रशिक्षण दिया जाता है । जिस स्त्री को वे शिक्षा के साथ-साथ अस्त्र-शस्त्र चलाने की विधा सीखने से हजारों वर्षों तक दूर रखे थे, आजकल उन्हें सबसे सॉफ्ट टारगेट माना जाता है । इन किशोर-किशोरियों का ऐसा ब्रेनवॉश किया जाता है कि इनकी कोई स्वतंत्र सोच नहीं रह जाती । जो इन्हें बताया जाता है उससे इतर वे सोच नहीं पाते हैं । स्वार्थ के आगे मानवता भी इन्हें बौनी लगती है । जिस की पूर्ति हेतु ये इतने कट्टर हो जाते हैं कि पुलिस तंत्र भी इनके तांडव के सामने बेबस नज़र आती है । ऐसे में लोकतंत्र को बचाने हेतु सरकार का ये कर्तव्य होना चाहिए कि धर्म जाति के नाम पर उग आए समस्त अवांछित निजी सेनाओं, दलों को गैर कानूनी घोषित कर उनपर प्रतिबंध लगाकर नागरिक पुलिस को सुदृढ़, सुव्यवस्थित करे । सरकार द्वारा यदि इनके महत्वाकांक्षाओं पर नियंत्रण करने हेतु कारगर कदम उठाया नहीं किया गया तो देश में गृहयुद्ध तो तय है ही । बल्कि इसका फायदा उन पड़ोसी मुल्कों को हो सकता है जो लगातार हमपर गिद्ध नज़र गड़ाए रहते हैं । इतिहास गवाह है गृहयुद्ध या अंतर्देशीय युद्ध के घातक परिणामों का । इसलिए ऐसे युद्धानुकूल परिस्थितियों को दूर करने में ही बुद्धिमानी होगी । अन्यथा वह दिन दूर नहीं जब पूरा देश गृह युद्ध की आग में झुलशता नज़र आएगा । 

(वुमेन एक्सप्रेस संपादकीय 25 मई 2017 में प्रकाशित) 




Tuesday 16 May 2017

शहीद की गरीबी का मज़ाक उड़ाते नेता व नौकरशाह

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी कश्मीर के पुंछ sector में आतंकियों से लड़ते हुए शहादत को प्राप्त हुए फौजी प्रेम सागर जी के परिजनों से मिलने 12 मई को देवरिया गए । वह भी अपने मन से नहीं बल्कि शहीद के परिवारवालों की जिद्द थी कि जबतक मुख्यमंत्री नहीं आते वी अंतिम संस्कार नहीं करेंगे । अंततः मुख्यमंत्री द्वारा मिलने का आश्वासन मिलने के बाद शहीद का अंतिम संस्कार किया गया । मुख्यमंत्री के इस मुलाक़ात की सबसे अजीब बात ये थी कि यात्रा के दो दिन पूर्व ही स्थानीय प्रशासन ने संसाधन विहीन, बिना प्लास्टर, मिट्टी के खुरदरी फर्श वाली घर में रंगरोगन कर, सोफा, टेबल, कालीन बिछाकर, अलग से एसी लगाकर तैयार कर दिया । मुश्किल से आधे घंटे रुके होंगे मुख्यमंत्री जी । जाने के साथ ही तुरंत ये सभी सामान हटा ली गयी ।
            मेरे कहने का ये अर्थ नहीं कि सरकारी खर्चे से जुटाए गए इन सामानों को प्रशासन को शहीद के घर ही छोड़ देना चाहिए । वैसे यदि छोड़ भी दिया जाय तो इसमें कोई बुराई नहीं । कोई अनर्थ नहीं हो जाता । लेकिन अफसोस इस बात की है कि ऐसा कर इन्होनें शहीद प्रेम सागर जी के साथ-साथ उनके परिवार की गरीबी का मज़ाक बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी । आखिर एक मुख्यमंत्री को एक शहीद के बिना plaster बिना रंगरोगन के मिट्टी के फर्श वाले घर में बिना कालीन बिछाए, बिना AC के मिलने में उनके कपड़े में कितना मिट्टी लग जाता, कितना पसीना आ जाता ? आखिर क्या जरूरत थी इस दिखावे की ? वह भी सादगी की मिशाल दिये जानेवाले, सांसारिक सुखों को त्यागे एक योगी को !!!
            थोड़ी देर के लिए यदि यह भी मान लिया जाय कि यह व्यवस्था संबन्धित क्षेत्र के नौकरशाहों ने किया... मुख्यमंत्री को तो शहीद के परिवार के आर्थिक स्थिति के जानकारी भी नहीं होगी । इस बात तो इसके लिए भी जिम्मेदार एक नेता ही होता है । वह नेता या उसके चेले अपनी शान में कोई कमी नहीं होने देने के लिए नौकरशाहों को जैसे आदेश देते हैं । अधिकारी उस अनुसार मजबूर होकर काम करते हैं । नहीं तो transfer, demotion झेलने के लिए तैयार ही रहे । वीआईपी culture की तरह गरीबी का मज़ाक उड़ानेवाले ऐसे कार्यों पर भी आवाज़ उठाने, रोक लगाने की आवश्यकता है ।

Monday 15 May 2017

संभावना - सृजनशील चेतना की वाहक


पत्रिका का नाम - संभावना 
संपादक - रामवचन यादव 
हिंदी विभाग, काशी हिंदू विश्वविद्यालय 
वाराणसी से प्रकाशित 









परामर्श मंडल 

आभ्यंतर - लोक, भाषा, विश्व साहित्य और समकालीन वैचारिकी को मंच



पत्रिका का नाम - आभ्यंतर 
ISSN - 2348-7771 
संपादक - कुमार विश्वमंगल पांडेय 
दिल्ली से प्रकाशित 








परामर्श मंडल 


पदचिन्ह मासिक - जनवरी 2014 : वर्ष 4 : अंक 1



पत्रिका का नाम - पदचिन्ह 
ISSN - 2231-1351 
मासिक पत्रिका 
संपादक - अजय परमार 
वाराणसी से प्रकाशित 







दस्तावेज़ 146 / जनवरी-मार्च /2015


पत्रिका का नाम - दस्तावेज़ 146
साहित्यिक त्रैमासिक पत्रिका 
संपादक - विश्वनाथ प्रसाद त्रिपाठी 
केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के सहयोग से प्रकाशित  

Friday 12 May 2017

नीचता की हद पार करते स्वामी ओम

बिग बॉस contestant रहे स्वामी ओम बड़ा सा ॐ की माला पहनकर एक विदेशी महिला के साथ कई अश्लील विडियो शूट कराकर खुद facebook, tweeter सहित अन्य सोसल मीडिया पर viral कराकर नीचता की सारी हद पार कर रहे हैं । खुद को Astrology से Ph.D कहने वाले इस बाबा का मानसिक संतुलन बिगड़ गया है । इसका प्रमाण बिग बॉस शो के दौरान दे ही चुके हैं । न अपने इज्जत-सम्मान की कोई परवाह है इन्हें न महिलाओं की । ऐसे मानसिक रोगियों को बीच चौराहे पर खड़ा कर सड़े बदबूदार अंडे, टमाटर, जूते, चप्पल, सैंडल से treatment किया जाना चाहिए । लगातार viral हो रहा यह विडियो हिंदू धर्म पर कीचड़ उछालने वालों को सुनहरा मौका दे रहा है । आशाराम ने पहले ही अपने कुकर्मों से हिंदू धर्म की इज्जत को धूमिल कर चुके हैं । अब ऐसा कर आखिर ये मूर्ख, ढोंगी साबित क्या करना चाहता है ? समझ से परे है । इसे यथाशीघ्र पागलखाने में भर्ती कर electric shock देने की जरूरत है । शायद बिग बॉस से निकाले जाने का frustration झेल नहीं पा रहा है यह मूर्ख ।  
आप सभी से अपील है कि इस video को share न कर यथाशीघ्र इसे दफन करने में मदद करें । 

Thursday 11 May 2017

अंध-आस्था के नाम पर बंद हो भारतीय मुद्रा से खिलवाड़

उत्तर मध्य रेलवे का मुगलसराय-वाराणसी रेलखंड । वाराणसी स्टेशन से मुगलसराय जाने के क्रम में जैसे ही ट्रेन काशी से गंगा पर निर्मित मालवीय रेलवे ब्रिज पार करने लगी, कोच
में मौजूद अधिकांश लोग विशेषकर प्रौढ़, वृद्ध यात्री अपने-अपने स्थान से उठकर गंगा को निहारते, प्रणाम करते हुए खिड़की से एक, दो या पाँच के सिक्के गंगा में फेंकने लगे । सिक्के इतनी संख्या में फेंके जा रहे थे कि ट्रेन के शोर के बीच भी लोहे के ब्रिज से टकराने से निकलने वाली सिक्के की छन-छनाहट को स्पष्ट सुना जा सकता था । फेंकने वालों में ऐसे भी लोग थे जो किसी भीख मांगने वाले को देखकर नाक-भौं सिकोड़ लेते थे । मेरे  सामने बैठी एक वृद्ध माताजी ने तो 10 रुपए का नोट निकाला, अपने पोते के सिर पर तीन-चार बार नजर उतारने के क्रम में घुमाया और खिड़की के पार गंगा में फेंक दिया । उत्सुकतावश सिक्का फेंकने वाले एक सज्जन से ऐसा किए जाने का कारण जानना चाहा तो बहुत ही दार्शनिक अंदाज में उत्तर मिला कि गंगा में सिक्का फेंकना हमारी (हिंदुओं की) सभ्यता- संस्कृति में सदियों से चली आ रही परंपरा है । हमारे धर्म में गंगा को माता कहा जाता है जिसके पवित्र जल से भागीरथ के पितरों को मुक्ति मिली थी । गंगा में स्नान करने से मनुष्य के पाप धुल जाते हैं, इसलिए लोग श्रद्धा से गंगा मईया को द्रव्य दान देते हैं । कुछ ऐसा ही एक अन्य नजारा हरिद्वार के हर की पौड़ी में भी देखने को मिला । एक बंधु गंगा में डुबकी लगाने से पहले एक सिक्का गंगा की तेज धारा में फेंकते हैं और डुबकी लगाते हैं । एक स्थानीय पुजारी से इस संदर्भ में बात किया तो पूर्व की भांति ही उत्तर मिला कि व्यक्ति द्वारा किए गए पाप को धुलकर पुण्य की प्राप्ति हेतु श्रद्धालु माँ गंगा को द्रव्य दान करते हैं । गंगा ही नहीं देश के अन्य तीर्थ स्थानों पर निर्मित कृत्रिम तालाबों के संबंध में भी यही मान्यता प्रचलित है । झारखंड राज्य में देवघर एक शैव तीर्थ है जो दो माह (सावन व भाद्रपद) तक चलने वाले श्रावणी मेले के लिए विश्वप्रसिद्ध है । शिवलिंग पर जलाभिषेक करने के उद्देश्य से श्रद्धालु मुख्यतः दो गंगा घाटों पर स्नान करते हैं - (1) सुल्तानगंज (भागलपुर, बिहार) का गंगा घाट तथा (2) सीमेरिया (बेगूसराय, बिहार) का गंगा घाट । इन दो महीनों में करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु लगभग इतनी ही संख्या में सिक्के गंगा नदी में दान कर स्नान करते हैं । तत्पश्चात देवघर आकर लंकापति रावण द्वारा स्थापित शिवलिंग (दंतकथानुसार) पर जलाभिषेक करते हैं । मंदिर के नजदीक ही एक बड़ा तालाब शिवगंगाहै । श्रद्धालु इस शिवगंगा में भी पुण्य प्राप्ति के उद्देश्य से सिक्के दानकर स्नान करते हैं । हालांकि यहाँ के एक पुजारी जी का मानना है कि स्थानीय शिवगंगातालाब में द्रव्य दान की परंपरा मंदिर स्थापना काल से ही चली आ रही है । प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु इसमें स्नान करते हैं जिससे तालाब का पानी अशुद्ध हो जाता है । अतः पानी की शुद्धता को बनाए रखने के उद्देश्य से पहले तांबे के सिक्के को तालाब में डालने की प्रथा प्रचलित हुई लेकिन अब तांबे के सिक्के प्रचलन में नहीं है फिर भी तालाब में सिक्का डालना यहाँ का रिवाज बन गया है । इसी प्रकार समय-समय पर उज्जैन, नासिक, इलाहाबाद में होने वाले कुम्भ स्नान के साथ-साथ सूर्यग्रहण, चंद्रग्रहण, अमावस्या, मकर संक्रांति, बिहार में प्रचलित कार्तिक स्नान, छठ पूजा के दौरान भी अरबों रुपए के सिक्के अंध-आस्था में नदियों में बहा दिये जाते हैं ।
            हालांकि यह कहना भी अतिशयोक्तिपूर्ण होगा कि सारे सिक्के गंगा नदी में बह जाते हैं । हरिद्वार, इलाहाबाद, वाराणसी सहित अन्य गंगा घाटों पर एक लंबी पतली रस्सी में चुंबक लगाकर सिक्के बीनते या गहरे पानी में गोता लगाकर सिक्के निकालते हजारों की संख्या में बच्चों व किशोरों को देखा जा सकता है । कई स्थानों पर तो इन सिक्कों को निकालने के लिए ठेके भी लिए-दिये जाते हैं । गोते लगाकर ये लोग सिक्के निकालने का काम करते हैं । फिर भी संभवतः ये प्रतिदिन नदी की तेज धार में डाले गए कुल सिक्कों का 50 प्रतिशत ही निकाल पाते होंगे । बाकी 50 प्रतिशत सिक्के या तो मिट्टी में दब जाते हैं या नदी की तेज धार में बहकर अन्यत्र चले जाते हैं जो शायद ही दुबारा भारतीय खजाने में वापस आ पाते होंगे । तालाब के सिक्कों को तो तालाब की सफाई के क्रम में निकाल लिया जाता है, जो मंदिर कोष में जमा कर लिया जाता है । लेकिन हर की पौड़ी, हरिद्वार की गंगा के तेज धारा या कोई पुल पर खड़ी बस या ट्रेन से फेंके गए सिक्के को निकालने का शायद ही कोई हिम्मत कर पाये ।
            नदियों में सिक्के फेंकने के पीछे कई मान्यताएँ प्रचलित हैं । एक मान्यता यह है कि विश्व की सभी मानव सभ्यताएँ शुद्ध जल प्रदान करने वाले नदियों के किनारे ही विकसित होते थे । निवासियों को पेय जल, सिंचाई के लिए नदियों पर ही निर्भर रहना पड़ता था । इसलिए इन नदियों को पवित्र व आभारी मानकर इनकी पूजा किया जाता था तथा द्रव्य दान करना इस पूजा का ही हिस्सा होता था । एक अन्य मत है कि कुछ समुदाय इस वैज्ञानिक तथ्य से परिचित हुए कि तांबे में पानी के बैक्टीरिया को नष्ट करने की क्षमता होती है । चुकी खाद्यानों से उन्हें ताम्र धातु की प्राप्ति नहीं हो पाती थी । अतः उन्होनें इसका लाभ लेने के उद्देश्य से तांबे के सिक्कों को नदियों व तालाबों में डालना शुरू कर दिया । एक अन्य मान्यता यह है कि हिंदू धर्मावलंबी अपने मृतकों का दाह संस्कार नदियों में ही करते हैं । कई बार बिना जलाए ही मृत शरीर को विसर्जित कर दिया जाता है जिससे उस नदी का जल उस गलित शरीर के हानिकारक बैक्ट्रिया से प्रदूषित हो जाता है । अतः इस प्रदूषण से नदी को बचाने के लिए उसके जल की शुद्धि के लिए तांबे का सिक्का डालने का रिवाज था ।
            उपरोक्त मान्यताएँ सत्य हों या न हों लेकिन आज के समय में इन्हें प्रासांगिक नहीं कहा जा सकता है । क्योंकि आज हमारे देश में तांबे का सिक्का प्रचलन में नहीं है । ऐसे में निकेल, स्टेनलेस स्टील या लौह धातु से निर्मित सिक्कों को नदियों में पानी शुद्ध करने के उद्देश्य से फेंकना कोई बुद्धिमानी नहीं बल्कि भारतीय मुद्रा के साथ खिलवाड़ करना है । रिजर्व बैंक से प्राप्त एक आर. टी. आई. के अनुसार आरबीआई को 10 रुपए जारी करने में लगभग 10 प्रतिशत का लागत आती है । अर्थात 10 रुपए का नोट जारी करने में रिजर्व बैंक को एक रुपए का खर्च आता है । इसी तरह 1 रुपए के नोट जारी करने में 1 रुपए 14 पैसे का खर्च आता है । एक या दो रुपए के सिक्के ढालने में भी लगभग इतना ही या इससे कुछ कम खर्च आता होगा । ऐसे में यदि प्रतिदिन पूरे देश में 1 लाख श्रद्धालु भी गंगा की तेज धार में सिक्के फेंकते हैं जिसमें से आधे यदि निकाल लिए जाते हैं । इसके बावजूद भी भारत सरकार को प्रतिदिन 50,000 रुपए का तथा सालाना 22 करोड़ रुपए का नुकसान होता है । आज जबकि हमारे देश में महंगाई अपने चरमोत्कर्ष पर है, आर्थिक स्थिति से तंग आकर किसान आत्महत्या कर रहे हैं । ऐसे में जागरूकता फैलाकर भारतीय मुद्रा से हो रही खिलवाड़ रोककर देश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ किया जा सकता है । भारत सरकार व भारतीय रिजर्व बैंक को इस दिशा में यथाशीघ्र उचित कदम उठाना चाहिए । जिस प्रकार भारतीय रिजर्व बैंक ने नोटों पर कुछ भी लिखना अपराध घोषित किया है, उसी तरह इस अंध-आस्था के कारण भारतीय मुद्रा को होनेवाले नुकसान से बचाने के लिए ऐसे ही कठोर कानून लाने की जरूरत है । यदि रोक नहीं लगाया गया तो वो दिन दूर नहीं जब हमारा देश भी भयानक आर्थिक मंदी या मुद्रा की कमी से जूझ सकता है ।  

(दिल्ली से प्रकाशित समाचार-पत्र वुमेन एक्सप्रेस के संपादकीय में प्रकाशित)

Wednesday 10 May 2017

बुद्ध : एक समाजसुधारक से false भगवान बनाते उनके अनुयायी

बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर सोसल मीडिया पर “बुद्धम शरणम गच्छामि” सहित काफी शुभकामना संदेश post/share किये जा रहे हैं । इसके साथ-साथ खुद को उनके अनुयाइयों कहलानेवाले श्रद्धालुओं द्वारा वही आडंबर, कर्मकांड किए जा रहे हैं । “बुद्धम शरणम गच्छामि” का अर्थ होना चाहिए हम बुद्ध के विचारों को सर्वप्रथम जानें । तत्पश्चात वर्तमान में उनके जो विचार प्रासंगिक हैं उसे ग्रहण कर उस अनुसार हम आचरण करें । यह नहीं कि ढेर सारी अनगिनत मूर्तियाँ चौक-चौराहों, मठों-मंदिरों, पार्कों में स्थापित कर फूल, चन्दन, धूप, अगरबत्ती, माला चढ़ाकर उन्हीं कर्मकांडों के गुलाम हो जाएँ जिसका उन्होनें एक समय विरोध किया था । उन्हें एक समाज-सुधारक ही रहने दें । false भगवान न बनाएँ ।  

Sunday 7 May 2017

निर्भया कांड पर Communal Politics का खेल दुर्भाग्यपूर्ण

दिल्ली की एक चलती बस में निर्भया (काल्पनिक नाम) बलात्कार कांड के 6 आरोपियों में से 4 की फांसी की सज़ा को supreme court द्वारा जारी रखने के निर्णय आते ही इन अपराधियों के लिए फांसी की सज़ा मांगने वालों के साथ-साथ communal politics करने वालों के बीच भी हलचल पैदा हो गयी है । लेकिन दोनों के बीच काफी अंतर देखा जा सकता है । निर्भया के वास्तविक समर्थक जहां चारों अपराधियों के नाम ले ले कर गालियों की बारिश करने में कोई कमी नहीं छोड़ रहे । वहीं Communal Politics के ठेकेदार केवल पांचवें आरोपी का नाम कोई “मोहम्मद अफ़रोज” उछालकर इस मुद्दे को मजहबी रंग देने की कोशिश कर रहे हैं । जबकि वास्तविकता यह है कि इस पांचवें आरोपी का नाम कभी “मोहम्मद अफ़रोज” था ही नहीं । BBC की 20 दिसम्बर 2015 की एक अन्य Report में 6 आरोपियों में 5 के नाम क्रमशः राम सिंह, मुकेश सिंह, विनय शर्मा, अक्षय ठाकुर, पवन गुप्ता के अतिरिक्त एक अन्य आरोपी का नाम उजागर नहीं किया गया ।[1] Zee News की 22 दिसंबर 2012 की एक रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली की deputy commissioner of police (DCP) छाया शर्मा ने एक press conference में पांचवें आरोपी को नाबालिग बतलाते हुए उसके वास्तविक नाम की जगह काल्पनिक नाम राजू रखा न कि कोई “मोहम्मद अफ़रोज” ।[2] आज 4 वर्ष बाद communal politics के खिलाड़ियों ने तो मूर्खता की हद ही पार कर दी, उस कानूनन नाबालिग अपराधी का नाम कोई मोहम्मद अफ़रोज” रखकर । कम से कम इस घटना को तो छोड़ देते । footnote के links पर क्लिक कर आप खुद देख सकते हैं कि छाया शर्मा व Zee News उसका क्या नाम “राजू” बता रहा है और नफरत के सौदागर क्या बता रहे हैं ? वैसे तो नियमतः किसी भी नाबालिग आरोपी/अपराधी या पीड़िता का वास्तविक नाम सार्वजनिक नहीं किया जाता है बल्कि काल्पनिक रखा जाता है । यह काल्पनिक नाम संभवतः उसके वास्तविक धर्म से संबंधित नाम होता है । जैसे पीड़िता हिंदू धर्म की थी तो उसका काल्पनिक नाम हिंदू सिद्धान्त से निर्भया रखा गया । आरोपी भी हिंदू था इसलिए उसका नाम राजू रखा गया । कोई अफ़रोज नहीं ।
            इस मुद्दे पर कई दोस्तों से काफी तीखी नोक-झोक भी हुई । हर तरह से, बहुत सारे लिंक के माध्यम से उन्हें समझाने का प्रयास किया लेकिन ये इतने brilliant minded थे कि मुद्दे पर बात करने की अपेक्षा इधर उधर भटकते व भटकाते रहे । दरअसल वे गलत होने के बावजूद खुद की हार मानना मंजूर नहीं था । इस क्रम में गालियां भी खाई लेकिन चुकी मुझे उन्हें नंगा करना था तथा इस अफवाह को फैलने से रोकना था । क्योंकि अफवाह फैलने के भयावह परिणाम पिछले 5 वर्षों से देखता आया हूँ । बहुत ही निडरता से उनकी मूर्खतापूर्ण बातों का तर्कपूर्ण उत्तर देते देते अंततः उनको नंगा कर ही दम लिया । बातचित करते करते ऐसे भी पल आए जिसे देखकर पौराणिक कहानी याद आ गयी कि “गार्गी चुप हो जाओ वरना तुम्हारा सर तोड़ दूंगा” ।
प्रस्तुत है इस मुद्दे पर दो communal politics करनेवाले दो बुद्धिजीवियों से बातचीत –
(1)   अंशुमन योगी self proclaimed योगी हैं जो योग गुरु के रूप में समाजसेवा कर रहे हैं ।
1 hr · Khaira · 
निर्भया हम शर्मिंदा है
अफरोज अभी भी जिंदा है !
#Nirbhayaverdict
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4 comments
Comments
Saket Bihari
Saket Bihari हा हा हा .......... बंधु कहाँ से खोज कर लाये इस जुवेनाइल रेपिस्ट का नाम ?
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अंशुमन योगी
अंशुमन योगी जो रॉड निर्भया के डाली थी वो अपने पिछवाड़े में लेके देखो ,पता चल जाएगा सूअर बालिग है या नाबालिग ।
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 · 1 hr
Saket Bihari
Saket Bihari हा हा हा ........ ये जवाब नहीं हुआ........... पता नहीं आप ये गाली use कर अपनी मूर्खता बार बार क्यों दिखाते हैं ?
 · Reply · 1 hr · Edited

अंशुमन योगी
अंशुमन योगी ये उत्तर आपके लिए नहीं है..
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 · 1 hr
Saket Bihari
Saket Bihari तो किसके लिए बंधु ?????
 · Reply · 1 hr
अंशुमन योगी
अंशुमन योगी जो उसे नाबालिग मानते हैं ।।
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1
 · 1 hr
Saket Bihari
Saket Bihari भारतीय कानून मानता है .... तो आप भारतीय कानून के ........ रॉड ........
 · Reply · 56 mins
अंशुमन योगी
अंशुमन योगी बिलकुल ऐसे कानून के भी पिछवाड़े में भी रॉड ।।
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1
 · 34 mins
Saket Bihari
Saket Bihari खैर आप स्वतंत्र हैं .... हर किसी judgement पर सवाल उठाने के लिए .... लेकिन मेरा बस इतना कहना था कि फर्जी नाम use कर communal politics न करें ....... आप खुद देख सकते हैं आपके पसंदीदा news चैनल zee news उसका क्या नाम बता रहा है । नियमतः किसी भी नाबालिग अपराधी या पीड़िता का वास्तविक नाम सार्वजनिक नहीं किया जाता है बल्कि काल्पनिक रखा जाता है । वह काल्पनिक नाम उसके वास्तविक धर्म से संबंधित नाम होता है .... जैसे पीड़िता हिंदू थी उसका काल्पनिक नाम हिंदू सिद्धान्त से निर्भया रखा गया । आरोपी भी हिंदू था इसलिए उसका नाम राजू रखा गया । कोई अफ़रोज नहीं । http://zeenews.india.com/.../delhi-gang-rape-case-delhi...
https://external.fbom1-2.fna.fbcdn.net/safe_image.php?d=AQBFHimdaVtZ-eri&w=160&h=60&url=http%3A%2F%2Fste.india.com%2Fimages%2Fessel90yr.png&_nc_hash=AQBNXTdCAmvhAE9I

 · Reply · Remove Preview · 22 mins · Edited
Saket Bihari
Saket Bihari अब ये मत कहिएगा कि zee news sold media है ।
 · Reply · 21 mins
अंशुमन योगी
अंशुमन योगी कोई साम्प्रदायिक बात नहीं है, ऐसे सभी लोगों का नाम ही नहीं पूरे परिवार का नाम और इतिहास सार्वजनिक होना चाहिए..
 · Reply · 
1
 · 9 mins
Saket Bihari
Saket Bihari बिलकुल इसी बात पर तो आपको बाकी पाँच सहित इस छठे का वास्तविक काल्पनिक नाम आपको अपने इसी post में edit कर लिख ही देना चाहिए ....... लेकिन मैं जानता हूँ आपसे ये नहीं हो पाएगा ।
 · Reply · 6 mins
अंशुमन योगी
अंशुमन योगी आवश्यकता नहीं है ।।
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1
 · 1 min
Saket Bihari
Saket Bihari शायद आपको सभी के नाम पता नहीं होगा ...... ये रहे सभी नाम ............http://www.bbc.com/news/world-asia-india-23434888


BBC.COM|BY BBC NEWS
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Saket Bihari
Saket Bihari वो मैं पहले ही जानता था ..... क्योंकि आपको तो केवल communal politics करना था ।
 · Reply · Just now
Saket Bihari
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Suvam Kumar Abvp
Suvam Kumar Abvp अंशूमन भैया जब हड्डी फेका देख लेता है न तो कुत्ता दौर परता है
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 · 1 hr
Saket Bihari
Saket Bihari हा हा हा जैसे आप दौड़े चले आए
 · Reply · 1 hr
Suvam Kumar Abvp
Suvam Kumar Abvp Hm nahi wo to apko bhi pata hoga ki kon jayda dorta hai
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 · 1 hr
Saket Bihari
Saket Bihari बिलकुल बताने की जरूरत ही नहीं...कोई कुछ comment किया तुरंत आ गए
 · Reply · 17 mins · Edited
Suvam Kumar Abvp
Suvam Kumar Abvp Bilkul nahi
 · Reply · 
1
 · 1 hr
Saket Bihari
Saket Bihari मैं भी तो वही कह रहा हूँ भाई ........
 · Reply · 1 hr
Suvam Kumar Abvp
Suvam Kumar Abvp Tb chale thik hai
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1
 · 1 hr
Saket Bihari
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Saket Bihari
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सौरभ बाजपेयी पॉण्डिचेरी central university के पीएचडी शोधार्थी हैं ।
Saurabh Bajpai
3 hrs · 
#निर्भया_कांड का सबसे खतरनाक अपराधी, #मोहम्मद_अफ़रोज़, वही अफ़रोज़ जिसको #नाबालिग बोलकर #बचाया गया।
#मोमबत्ती गैंग तो #याद होगा आपको, वही गैंग जो निर्भया काण्ड के समय बहुत #एक्टिव हो गया था और उस समय खुद को एक सामाजिक कार्यकर्ता साबित करने और अपनी इमेज चमकाने के लिए #केजरीवाल भी अपनी टोली के साथ उसमें #शामिल हो गए थे।
फिर, कुछ ही महीनों बाद #आप_पार्टी की नेता नीना नायक ने मोहम्मद अफ़रोज़ के #वकीलके तौर पर #केस लड़ा और #उसको बचा ले गई, नीना नायक ने आप पार्टी के टिकट पर#सांसद का चुन...
Comments
Saket Bihari
Saket Bihari हद कर दी आपलोगों ने मूर्खता की । कोई भी मौका नहीं छोडते communal politics करने की । इस मामले को तो कम से कम छोड़ देते । आप खुद देख सकते हैं आपके पसंदीदा news चैनल zee news उसका क्या नाम बता रहा है । और आप क्या बता रहे हैं । वैसे तो नियमतः किसी भी नाबालि...See More


The fifth accused in the heinous gang-rape incident,…
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 · 1 hr · Edited

Saurabh Bajpai
Saurabh Bajpai रही बात हम मूर्ख ही सही, वो हिन्दू हो या मुस्लिम उसे भी फाँसी हो...चाहे वो रामू हो चाहे फिरोज
 · Reply · 17 mins
Saurabh Bajpai
Saurabh Bajpai हमारी जानकारी मे उसका नाम फिरोज ही है, जिसको केजरीवाल जी सिलाई मसीन देने गये थे
 · Reply · 16 mins
Saket Bihari
Saket Bihari हा हा हा वो तो आपकी नज़र में होगा ही .......
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Saurabh Bajpai
Saurabh Bajpai आपके हिसाब से सही हुआ जिसे छोड दिया गया
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Saurabh Bajpai
Saurabh Bajpai हा तो आप अपना काम करे, हमे अपना काम करने दे
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Saurabh Bajpai
Saurabh Bajpai और वो मुस्लिम ही है तभी आपको इतनी तकलीफ हुई
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Saket Bihari
Saket Bihari हाँ.... बिलकुल आप communal politics कीजिये .... हम जब तक आपसे जुड़े रहेंगे आपको ऐसे ही नंगा करते रहेंगे ।
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Saket Bihari
Saket Bihari वो हिन्दू है या मुस्लिम ज़ी न्यूज़ की रिपोर्ट में स्पष्ट है
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Saket Bihari
Saket Bihari मुझे तकलीफ सिर्फ इस बात से हुई कि आप फर्जी अफवाह फैला रहे हैं
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Saurabh Bajpai
Saurabh Bajpai आप जातिवाद पालिटिक्स कीजिये
 · Reply · 11 mins
Saurabh Bajpai
Saurabh Bajpai आप जय भीम और जय मीम की राजनीति करिये
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Saket Bihari
Saket Bihari हा हा हा ...... सबको अपनी तरह काहे समझते हैं
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Saurabh Bajpai
Saurabh Bajpai अाप नेसनल दस्तक पढ़कर सबको ग्यान दीजिये
 · Reply · 10 mins
Saket Bihari
Saket Bihari हा हा हा .......
 · Reply · 9 mins
Saurabh Bajpai
Saurabh Bajpai बाबासाहेब जी की आत्मा रो रही होगी, मीम के साथ अपना नाम देख कर लगे रहो
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Saurabh Bajpai
Saurabh Bajpai आप अपने विचार अपनी वाल पर लिखिये न कि मेरी पोस्ट पर आकार
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Saurabh Bajpai
Saurabh Bajpai आप एक बलात्कारी को डिफेंड कर रहे...!
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Saket Bihari
Saket Bihari आपकी तकलीफ समझ सकता हूँ .... नंगा होने के बाद कोई आदमी ऐसे ही बातें करता है । आगे भी तकलीफ देता रहूँगा .... i promice
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Saket Bihari
Saket Bihari जी नहीं .... भारतीय कानून defend कर रही है
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Saurabh Bajpai
Saurabh Bajpai हहहहह
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Saket Bihari
Saket Bihari हा हा हा
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Saurabh Bajpai
Saurabh Bajpai आपका कब्ज समझ सकता हू
 · Reply · 5 mins
Saurabh Bajpai
Saurabh Bajpai बलात्कार के भी समर्थक बन गये...
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Saket Bihari
Saket Bihari ये कब्ज आपलोगों को है मुझे नहीं
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Saurabh Bajpai
Saurabh Bajpai Kaun nanga hua ye samay batyega
 · Reply · 4 mins
Saket Bihari
Saket Bihari समय नहीं अभी ही पता चल गया
 · Reply · 3 mins
Saurabh Bajpai
Saurabh Bajpai Aage se Meri kisi post pr comment n krna....
 · Reply · 3 mins
Saurabh Bajpai
Saurabh Bajpai Aap rapist k samarthan kriye
 · Reply · 3 mins
Saurabh Bajpai
Saurabh Bajpai Yhi reality Hai aapki
 · Reply · 3 mins
Saurabh Bajpai
Saurabh Bajpai Dil ki bhavana samne a hi jati h.
 · Reply · 2 mins
Saket Bihari
Saket Bihari जब तक आपकी frnd लिस्ट में रहूँगा ...आपको गलत बातों पर नंगा क्लारता रहूँगा
 · Reply · 2 mins
Saurabh Bajpai
Saurabh Bajpai Limit cross kr rhe ho
 · Reply · 2 mins
Saurabh Bajpai
Saurabh Bajpai Last warning
 · Reply · 2 mins
Saurabh Bajpai
Saurabh Bajpai Nange to tum ho gye ho
 · Reply · 2 mins
Saket Bihari
Saket Bihari मैं women studies का student हूँ बलात्कार और ब्लाटकारी को आपसे अच्छे से समझता हूँ ....... आपकी तरह बलात्कार के नाम पर communal पॉलिटिक्स नहीं करता हूँ
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Saket Bihari
Saket Bihari हा हा हा polling करवा लीजिये .... कौन नंगा हूँ पता चल जाएगा
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Saket Bihari
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Saket Bihari
Saket Bihari अन्य आरोपियों के आपलोग नाम भी नहीं गिनाते हैं क्योंकि सभी हिंदू हैं ...... rape के आरोपियों को गाली देना है तो बाकी सभी का भी नाम लीजिये .... ये रहे सभी के नाम http://www.bbc.com/news/world-asia-india-23434888


The BBC profiles the men convicted of the brutal gang…
BBC.COM|BY BBC NEWS
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Saurabh Bajpai
Saurabh Bajpai पहले दिन से सबकी फाँसी की माँग कर रहे थे, मेरी पोस्ट ध्यान से देखा करिये
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Saket Bihari
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Saket Bihari
Saket Bihari आप केवल अरविंद केजरीवाल को इस मोमबत्ती gang में शामिल होने की बात करते हैं ...... इस news report से स्पष्ट है कि इसमें बाबा रामदेव व जनरल वी के सिंह भी शामिल थे । http://indianexpress.com/.../nirbhaya-gangrape-case-2012.../
https://external.fbom1-2.fna.fbcdn.net/safe_image.php?d=AQBok807mRJ76Bz8&w=90&h=90&url=http%3A%2F%2Fimages.indianexpress.com%2F2015%2F12%2Fnirbhaya-12001-e1481692118200.jpg%3Fw%3D759&cfs=1&upscale=1&_nc_hash=AQCUX-7xCYVeqA2E

Nirbhaya gangrape case: From protests in New Delhi to…
INDIANEXPRESS.COM
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Saurabh Bajpai
Saurabh Bajpai पूरी पोस्ट ध्यान से पढ़ो...
 · Reply · 19 mins
Saket Bihari
Saket Bihari आपको पढ़ने की जरूरत है मुझे नहीं
 · Reply · 18 mins
Saket Bihari
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Saurabh Bajpai
Saurabh Bajpai विरोध की ऐसी भी क्या चुल्ल की ब बलात्कारी को डिफेंड करना पड़े
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[1] http://www.bbc.com/news/world-asia-india-23434888
[2] http://zeenews.india.com/news/delhi/delhi-gang-rape-case-delhi-police-confirm-fifth-accused-a-minor_818317.html