Wednesday, 6 August 2025

पाठ्यपुस्तक समीक्षा : हमारा अद्भुत संसार, कक्षा : तीन

 

छत्तीसगढ़ शासन द्वारा अकादमिक सत्र 2025 में पूर्व से अध्ययन/अध्यापन कराए जा रहे ‘पर्यावरण अध्ययन’ विषय को एक नए कलेवर, एक नए नाम ‘हमारा अद्भुत संसार’ के साथ लाया गया है। बच्चों के सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखते हुए उन्हें 21 वीं सदी के कौशलों से युक्त एक वैश्विक नागरिक के रूप में विकसित करने की दिशा में कार्य करते हुए एनसीईआरटी, दिल्ली द्वारा इस पाठ्यपुस्तक को विकसित किया गया है। एससीईआरटी, रायपुर ने इस पाठ्यपुस्तक में छत्तीसगढ़ के संस्कृति एवं संदर्भ को समाहित करते हुए थोड़े बहुत परिवर्तन के साथ प्रकाशित किया है। पर्यावरण के प्रति बच्चों की संवेदनशीलता को विकसित करने के उद्देश्य से बुनियादी स्तर एवं मध्य स्तर की कड़ी के रूप में इस पाठ्यपुस्तक को प्रकाशित किया गया है।

पाठ्यपुस्तक को चार इकाइयों में विभाजित किया गया है जिसके अंतर्गत तीन छोटे-छोटे अध्याय हैं -

इकाई

नाम

अध्याय

 

1

 

हमारे परिवार और समुदाय

अध्याय 1 - मेरा परिवार और मित्र

अध्याय 2 - मेले में हम

अध्याय 3 - त्योहार मनाएँ एक साथ

 

2

 

जीवन आसपास

अध्याय 4 - कुछ खोज पेड़ पौधों की

अध्याय 5 - पेड़ पौधे और पशु पक्षी हैं साथ

अध्याय 6 - निर्भरता एक दूसरे पर

 

3

 

प्रकृति के उपहार

अध्याय 7 - पानी है अनमोल

अध्याय 8 - हमारा भोजन

अध्याय 9 - स्वस्थ रहो प्रसन्न रहो

 

4

 

आस पास है क्या क्या?

अध्याय 10 - वस्तुओं की दुनिया

अध्याय 11 - कैसे बनी ये वस्तुएँ

अध्याय 12 - क्या और कैसे करें इसका?

 

पहले इकाई (हमारा परिवार और समुदाय) का पहला अध्याय ‘मेरा परिवार और मित्र’ है जो बच्चों को एक परिवार के विभिन्न सदस्य, मित्र, पड़ोसी व इन सभी के बीच के संबंध, परस्पर सहयोग को क्रमबद्ध रूप से परिचित कराता है। साथ ही यह अध्याय बड़ा परिवार, छोटा परिवार से परिचित कराने के साथ-साथ मानव-मानव के बीच के रिश्ते से आगे ले जाते हुए बच्चों को इस ज्ञान से परिचित कराता है कि मानव-जीव जन्तु, मानव-पेड़ पौधे के बीच भी रिश्ते होते हैं जो काफी प्रेम से निभाए भी जाते हैं। दूसरा अध्याय हमारे पास के और दूर के रिश्तेदारों के बीच के परस्पर सहयोगी संबंध से बच्चों को परिचित कराता है। तीसरे अध्याय में देश के दो राज्यों जम्मू एवं झारखंड में वसंत ऋतु को अलग-अलग नाम से मनाए जाने का जिक्र करते हुए विभिन्न प्रकार के व्यंजन एवं संस्कृति से परिचित कराते हुए त्योहारों को मिलजुल कर मनाने का संदेश दिया गया है। साथ ही सुरक्षित यात्रा करने हेतु आवश्यक नियमों, चौड़ी पक्की सड़क, संकरी कच्ची सड़क से भी परिचित कराया गया है।  

दूसरा इकाई ‘जीवन आसपास’ हमारे आसपास के जीवन से संबंधित है, जो तीन अध्यायों में विभाजित है। इसका पहला अध्याय ‘कुछ खोज पेड़ पौधों की’ है। यह अध्याय बच्चों को हमारे आस पास उगने वाले विभिन्न प्रकार के पेड़ पौधों, उनके भौतिक विशेषताओं, एवं महत्त्व से परिचित कराता है। इस इकाई का दूसरा अध्याय ‘पेड़ पौधे और पशु पक्षी हैं साथ’ है। पौधों तथा जानवरों के बीच के परस्पर संबंध से परिचित कराता यह अध्याय बच्चों को उनकी आवास एवं व्यवहार से संबंधित ज्ञान देता है। तीसरा अध्याय ‘निर्भरता एक दूसरे पर’ है जो यह दिखाता है कि हम पौधों तथा जानवरों के साथ किस प्रकार जुड़े हैं।  

तीसरा इकाई ‘प्रकृति के उपहार’ है इसके अंतर्गत भोजन और पानी के संबंध में चर्चा किया गया है। इस इकाई का पहला अध्याय ‘पानी है अनमोल’ है जो इस बात पर केंद्रित है कि किस प्रकार बारिश हमें पानी जैसे अनमोल उपहार प्रदान करती है। यह अनमोल उपहार हमें किन किन स्रोतों से प्राप्त होता है? किस प्रकार हम इस अनमोल उपहार का प्रभावी तरीके से उपयोग करते हुए इसका संरक्षण कर सकते हैं। दूसरा अध्याय है ‘हमारा भोजन’ इसके अंतर्गत विभिन्न स्रोतों से प्राप्त होने वाले खाद्य पदार्थ एवं इससे प्राप्त होने वाले लाभकारी पोषक तत्व के संबंध में बच्चों को बताया गया है। तीसरा अध्याय ‘स्वस्थ रहो प्रसन्न रहो’ है है जो अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के महत्त्व एवं तरीके पर विस्तृत जानकारी देता है।

चौथा इकाई ‘आस-पास है क्या-क्या?’ है। इस इकाई में अलग अलग प्रकार के पदार्थों/धातुओं जैसे लकड़ी, कांच, प्लास्टिक से निर्मित उन वस्तुओं को शामिल किया गया है जिन का उपयोग मनुष्य सुविधापूर्वक रहने के लिए करते हैं। साथ ही इस संबंध में भी महत्वपूर्ण जानकारी देते हैं कि अपने आस पास के परिवेश को स्वच्छ बनाए रखने के लिए उसका प्रबंधन कैसे किया जाना चाहिए। इस इकाई का पहला अध्याय ‘वस्तुओं की दुनिया’ है। यह अध्याय बच्चों को यह जानने में मदद करता है कि कौन कौन सी वस्तुएं प्रकृति निर्मित है और कौन-कौन मानव के द्वारा बनाई गई है। दूसरा अध्याय ‘कैसे बनी ये वस्तुएँ?’ है, इस अध्ययन में यह पता लगाने का प्रयास किया गया है कि प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करके किस प्रकार घरों का निर्माण किया जाता है? तीसरा अध्याय ‘क्या और कैसे करें इसका?’ है। इस अध्याय में हमें अपने घरों और आसपास स्वच्छता बनाए रखने के तरीकों से परिचित कराया गया है।

एससीईआरटी, रायपुर के द्वारा प्रकाशित 162 पृष्ठों वाले हमारे आस पास के जीवन से संबंधित जानकारियों से सुसज्जित इस पाठ्यपुस्तक के अध्ययन से प्राप्त अंतर्दृष्टि को निम्न बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता है -  

·       पाठ्यपुस्तक बहुत ही सरल तरीके से सरल शब्दों में बच्चों के आसपास की दुनिया जैसे – मिट्टी, नदी, पहाड़, उनपर आश्रित रहने वाले अलग-अलग आकार-आकृतियों के पेड़-पौधे (शाक, घास, लताऐं, बेल) उसके भाग (जड़, तना, पत्ती, फूल, फल, बीज) उनकी विशेषताएं, महत्ता/उपयोगिता, इन पेड़-पौधों पर आश्रित रहने वाले पशु-पक्षी, जीव-जन्तु (उनकी बोली, परिवार-रिश्ते जैसे विभिन्न सामाजिक अवधारणाओं, सांस्कृतिक जीवन (खानपान, कपड़े, त्योहार) आदि से परिचित कराता है। इनके संरक्षण की आवश्यकता, तरीके पर समझ विकसित करता है।

·       इस पाठ्यपुस्तक में एक अच्छी बात यह लगी कि प्रत्येक इकाई से संबंधित अध्यायों के संबंध में शिक्षकों को संक्षेप में परिचित कराया गया कि इस इकाई के अंतर्गत कितने अध्याय हैं? किस अध्याय में किसके संबंध में चर्चा की गई है? उस अध्याय पर कार्य करने के दौरान किन किन शिक्षण सहायक सामग्रियों की आवश्यकता होगी? को भी संक्षेप में बेहतर तरीके से बताया गया है ताकि पाठ को समझने में शिक्षक के साथ-साथ बच्चों को भी कोई असुविधा न हो। विशेष रूप से शून्य लागत वाले शिक्षण सहायक सामग्री।   

·       समूह कार्य, यह जोड़ी में रहकर स्वयं से कार्य कर सीखने को बढ़ावा दिया गया है।

·       प्रत्येक पृष्ठ में पाठ से संबंधित चित्रों को काफी बेहतर प्रिन्ट के साथ लगाया गया है।

·       प्रत्येक पाठ में मानवीय मूल्यों को विकसित करने वाले सवालों को भी शामिल किया गया है। जैसे पहले अध्याय का एक सवाल देख सकते हैं – क्या आपको लगता है कि हमें जानवरों को तंग क्यों नहीं करना चाहिए या चोट क्यों नहीं पहुंचाना चाहिए? जानवरों के व्यवहार से भी परिचित कराते हुए ये बताया गया है कि जानवरों से डर लगने या उन्हें पसंद न करने पर भी मारना नहीं चाहिए। क्योंकि आम तौर पर जानवर हमें तब तक नुकसान नहीं पहुंचाते हैं, जब तक कि वे हमसे खतरा महसूस नहीं करते। गर्मी के महीने में पक्षियों के लिए पानी की व्यवस्था करने हेतु बर्डबाथ बनवाना।

·       पीका-बू (छुपम-छुपाई), अंताक्षरी, सांप-सीढ़ी, पिट्टुल जैसे स्थानीय, पारंपरिक खेल जिससे लगभग सभी बच्चे परिचित होते हैं, को शामिल किया गया है, ताकि बच्चे स्वयं को उससे जोड़ कर कही जा रही बातों को समझ सकें।

·       किसी अवधारणा पर कार्य करने के बाद दिया गया अभ्यास कार्य समझ व स्मरण आधारित होने के साथ-साथ स्वतंत्र चिंतन या व्यक्तिगत अनुभव व्यक्त करने से संबंधित है।

·       पाठ्यपुस्तक को इतनी बेहतरीन तरीके से बनाया गया है कि संबंधित अवधारणा पर समझ बनाने में अलग से कार्यपत्रक के उपयोग की आवश्यकता महसूस नहीं होती है।

·       एक अवधारणा पर समझ बनाने के बाद उनसे संबंधित कुछ स्वतंत्र चिंतन करने वाले कुछ सवाल दिए गए हैं, उसपर कार्य कर समझ बनाने के बाद आगे की अवधारणा से परिचित कराया गया है। 

·       ऐसे वाक्य प्रयुक्त किए गए हैं जो लैंगिक विषमता को पाटने का कार्य करता है जैसे – मेरे माता पिता घर की सफाई और खाना पकाने से लेकर बाजार के सभी कामों में एक दूसरे की सहायता करते हैं। रवि भैया सब्जियों को साफ करके काटने में सहायता करते हैं। (अध्याय 1, पृष्ठ 10)

·       प्रत्येक अध्याय में गणितीय दक्षता से संबंधित प्रश्न भी शामिल किए गए हैं- जैसे – आपके परिवार में उम्र में सबसे बड़ा व्यक्ति कौन है? आपके परिवार में उम्र में सबसे छोटा व्यक्ति कौन है? आपके परिवार में सबसे लंबा व्यक्ति कौन है? (अध्याय 1, पृष्ठ 12)

·       चित्र पठन, समझ के साथ चिंतन करते हुए लेखन करने से संबंधित गतिविधियां प्रत्येक पाठ में देखने को मिलती है।

·       प्रत्येक अध्याय में आसान से लगने वाले चित्र बनाने की गतिविधियां इस ओर इशारा करती है कि बच्चों के रचनात्मक विकास पर भी गहराई से कार्य किया जा रहा है।

·       FLN स्तर के बच्चों को भी ध्यान में रखते हुए उनके लिए डिकोडिंग व बौद्धिक विकास से संबंधित सवाल (वर्ग पहेली) रखे गए हैं। 

·       संबंधित अवधारणाओं पर बेहतर समझ बनाने के लिए रोल प्ले (नाटकीय रूपांतरण) जैसे शिक्षण विधि को भी शामिल किया गया है। (अध्याय 2 पृष्ठ 32)

·       मौखिक भाषा विकास हेतु चर्चा किए जा रहे विषय से संबंधित बालगीत, कहानी को भी शामिल किया गया है। जैसे अध्याय 3 में शामिल किया गया बालगीत ‘वसंत ऋतु’। अध्ययन आठ में भोजन की महत्ता को दिखाने के लिए ‘शशि की कहानी – धावक’ नामक कहानी का उपयोग किया गया है।

·       आगे की कक्षा में मानचित्र के घटकों (दिशा, संकेत चिन्ह) की ओर ले जाने हेतु पृष्ठभूमि तैयार की गई है। (अध्याय 3 पृष्ठ 43)

पाठ्यपुस्तक के उपरोक्त विशेषताओं के अतिरिक्त कुछ ऐसे भी कमियाँ देखने को मिली जो ये यदि सम्मिलित होते तो पाठ्यपुस्तक की समृद्धि को बढ़ा रहे होते।

·       ‘त्योहार मनाएं एक साथ’ पाठ में भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में वसंत ऋतु से संबंधित त्योहार मनाए जाने की बात आई है, आकलन खंड में विभिन्न क्षेत्र व धर्मों से संबंधित त्योहारों या धार्मिक आयोजनों (जैसे क्रिसमस, ईद उल फ़ितर, छठ पूजा आदि) को शामिल किया गया है। इसी आधार पर इसके पूर्व के अध्याय में मेला का जिक्र करते हुए कुंभ को शामिल किया गया है। ईद के अवसर पर ईदगाह में लगने वाले मेले का भी यदि वहाँ उल्लेख किया जाता तो इस्लाम धर्म मानने वाले बच्चे भी मेले की अवधारणा से जुड़ पाते।

·       पूरे पाठ्यपुस्तक में एक ही धर्म केंद्रित पात्रों के नाम को शामिल किया गया है। पाठ्यपुस्तक को समावेशी बनाने के लिए अन्य धर्मों से संबंधित लोगों के नाम को शामिल किया जा सकता था। उदाहरण के लिए एक अध्याय में यदि बेला का नाम आ रहा है तो अगले अध्याय में शबाना, जॉन, अब्दुल जैसे नाम का भी जिक्र किया जा सकता था।

·       अध्याय 3 त्योहार मनाएं एक साथ में गतिविधि 1 को शामिल करने का लॉजिक समझ नहीं आया। (पेज 36) इस गतिविधि से संबंधित चर्चा इस अध्याय में नहीं की गई है।

·       तीसरे अध्याय में ऐसे ऐसे व्यंजनों का नाम (होलिगे, सद्दा) शामिल किया गया है जिसके बारे में बच्चों को बता पाने में बहुत ही मुश्किल होगी कि इसका संबंध किस त्योहार से है? 

नउम्मीद है कि नए कलेवर में लाया गया यह पाठ्यपुस्तक बच्चों में 21 वीं सदी के कौशल को विकसित करने में सहायक होगा।