Saturday, 30 August 2025

अंधविश्वास परोसते सोशल मीडिया पोस्ट

फेसबुक में अपने पोस्ट की visibility और reach को बढ़ाने के लिए लोग अलग अलग तरीके अपना रहे हैं। इसमें कोई बुराइ नहीं है। क्योंकि वर्तमान समय में बहुत से लोगों को इससे रोजगार मिल रहा है, कमाई का अवसर उपलब्ध कराया जा रहा है। लोगों की आमदनी बढ़ रही है। लेकिन बुराई तब है जब आप इसके माध्यम से समाज में अंधविश्वास परोस रहे हों। स्वतंत्रता के पश्चात से ही हमारे शैक्षिक नीतियां इस प्रकार बनाई जा रही है जिससे हममें वैज्ञानिक सोच विकसित हो, लेकिन जब आप अपने प्रोफ़ाइल से अंधविश्वास को परोस रहे होते हैं, तो आप भारत सरकार के इस नेक कार्य में बाधा बन रहे होते हैं।

मामला एक फेसबुक प्रोफाइल (जो कि एक Un-professional News Channel लगा) से संबंधित है। रिपोर्टिंग कर रहा शख्स एक किन्नर से यह कहलवा रहा है कि जो भी इस पोस्ट पर ‘जय श्रीराम’ कमेंट करेगा उसके लिए मैं दुआ करूँगी कि उसकी मनोकामना पूर्ण होगी। मेरे देखे जाने तक 1500 से ज्यादा कमेंट उस पोस्ट पर ‘जय श्रीराम’ के रूप में ही आ चुके थे।

मैं पत्रकारिता का छात्र हूँ, इस कारण सरकारी नियंत्रण से मुक्त स्वतंत्र यूट्यूब चैनल, सोशल मीडिया पेज/प्रोफाइल मुझे बहुत पसंद आते हैं। इन न्यू चैनल/प्रोफाइल के माध्यम से मुझे एक से बढ़कर एक खोजी पत्रकारिता करने वाले युवा साथी मिले। उनके वीडियो देखकर मुझे काफी संतुष्टि मिलती है। लेकिन इस वीडियो को देखने के बाद मुझे उतनी ही असंतुष्टि हुई। थोड़ा बहुत गुस्सा भी आया। असंतुष्टि इसलिए कि वह व्यक्ति अंधविश्वास परोस रहा था। इसमें दो प्रकार के अंधविश्वास थे - पहला अंधविश्वास तो यह कि किसी ऐरे-गैरे पोस्ट पर ‘जय श्रीराम’ कमेंट सेक्शन में लिखने से किसी की मनोकामना पूर्ण होगी। दूसरा अंधविश्वास यह कि किसी किन्नर की दुआएं/आशीर्वाद काम करती हैं।

थर्ड जेंडर के रूप में जाने जाने वाले किन्नर समुदाय के प्रति मुझे सहानुभूति है, सड़कों पर, ट्रेन में भिक्षाटन करते, लोगों के झिड़कियाँ, अपशब्द सुनते देख कर मुझे भी उनके लिए बहुत दुख होता है। हमेशा यह सोचता हूँ कि जितनी जल्दी हो सके ये भी समाज की मुख्यधारा में शामिल होकर स्त्रियों और पुरुषों की तरह हर प्रकार के अधिकार का उपभोग कर सके। हज़ारों वर्षों से करते आ रहे अपने पारम्परिक काम ‘नवजात बच्चों को दुआएं देना’ से मुक्त हों। बच्चों को दुआएं/आशीर्वाद देना एक बेकार का आडंबर है, जो लोगों को अंधविश्वासी बनाते हैं। इनकी दुवाओं/आशीर्वाद में जरा भी असर होता तो सड़क पर भीख मांगकर गुजारा करने की जगह इनकी जिंदगी महलों, आलीशान कोठियों में कट रही होती।

देश विदेश के सभी धन्ना सेठ इनको पकड़-पकड़ कर, तस्करी कर लाते, खूब खिलाते-पिलाते और दिन-रात एक करते हुए दुआ/आशीर्वाद देने का व्यापार करवा रहे होते।

AI द्वारा निर्मित